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हीरा ज़रूरी या जंगल: 55,000 करोड़ वाली हीरे की ख़दानों की पड़ताल

-बीबीसी, एक डरावना सा जंगल कैसा होता है, सिर्फ़ किताबों में पढ़ा था और डिस्कवरी चैनल पर ही देखा था. कहानियाँ भी सुनी थीं, उनकी- जिनकी ज़िंदगी में इस जंगल के सिवा कुछ नहीं होता. एक दोपहर सन्नाटे को चीरते हुए उस घने जंगल में सागौन के दरख़्तों से निकलकर थोड़ी रोशनी में पहुँचे तो फटे-पुराने कपड़े पहने हुए एक व्यक्ति को कुछ पत्तियाँ और टहनियाँ बीनते हुए पाया. पता चला वो भगवान दास...

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स्कूल तोड़कर बीच से निकाल दी गई फोर लेन सड़क, ग्रामीणों ने शुरू किया ‘सड़क पर स्कूल’ अभियान

-न्यूजक्लिक, ये तो सभी ने खुली आंखों से देखा है कि किस प्रकार से कोरोना महामारी काल ने केंद्र से लेकर सभी राज्यों की सरकारों की भांति बिहार सरकार की भी लचर स्वास्थ्य व्यवस्था को उधेड़ कर रख दिया. लेकिन अब अनलॉक की स्थिति ने सरकारी शिक्षा व्यवस्था की भी पोल खोल दी है. बिहार सरकार ने विगत दिनों से प्रदेश की सरकारी शिक्षा व्यवस्था की जो स्थिति कर रखी है,...

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विमर्श : इतिहास पर छापा

-आउटलुक, “हिंदुत्ववादी शक्तियां इतिहास को विचारधारा के अनुसार बदलने के लिए राजसत्ता का इस्तेमाल करती हैं” पिछली शताब्दी के शुरुआती वर्षों से ही हिंदू सांप्रदायिक शक्तियां भारत के अतीत को अपने चश्मे से देखकर इतिहास को अपनी विचारधारा के अनुसार बदलने की कोशिश करती रही हैं। पुरुषोत्तम नागेश ओक ने पांच दशकों से भी अधिक समय तक इस अभियान का नेतृत्व किया और कई पुस्तकें लिखीं। 1964 में ‘भारतीय इतिहास पुनर्लेखन संस्थान’...

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पंचतत्व: एक ऋषि की प्यास बुझाने जो नदी आयी थी, आज वो खुद प्यासी है

-जनपथ, बुंदेलखंड का पवित्र शहर है चित्रकूट, जिसके नाम के साथ बहुत सारे ऋषि-मुनियों और खासतौर पर भगवान राम और सीता का नाम जुड़ा है. रामायण की कथा का जिक्र आये तो चित्रकूट और मंदाकिनी नदी का जिक्र न आये, ऐसा हो नहीं सकता. मंदाकिनी के तट पर ही तुलसीदास ने मानस लिखा, भगवान राम ने अपने वनवास का लंबा वक्त यहां गुजारा और मान्यता यह भी है कि ऋषि अत्रि...

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भारत में अंधविश्वास के खिलाफ लड़ाई समाज सुधार की सबसे बड़ी जिम्मेदारी

-जनज्वार, हमारे देश में धर्म व अंधविश्वासों का साथ चोली दामन की तरह है। उनके बीच फर्क की लकीर अब बेहद महीन व धुंधली सी हो गई है, अंधभक्ति के खिलाफ बोलना भी सामूहिक जुर्म करने वालों के खिलाफ जैसा जोखिम भरा काम है। हमारे देश में पढ़े लिखे लोग भी तकदीर संभालने के लिए अंगूठी पहन लेते हैं। शराब के ठेके व बार उद्घाटन के मौके पर धर्मगुरु बुला लिए...

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