-न्यूजक्लिक, हम एक ऑनलाइन क्लासरूम में बैठे हुए थे, जिसमें भारत के अलग-अलग हिस्सों से ताल्लुक रखने वाले करीब़ 20 छात्र मौजूद थे। यहां हम मीडिया में नई अवधारणाओं और तकनीकों के साथ-साथ जीवन की वास्तविकताओं को समझने की कोशिश कर रहे थे। परंपरागत ढंग से पढ़ाने के बजाए बेहतर होता है कि पाठ योजना को हम सवाल-जवाब के विमर्श में बदल लें। मैंने छात्रों से पूछा, "पत्रकारों के लिए टूलकिट...
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कार्यकारी (और) संपादक
-द कारवां, जैसे ही यह स्पष्ट हो गया कि डोनाल्ड ट्रंप सत्ता से बाहर हो गए हैं और जो बाइडन अमेरिका के नए राष्ट्रपति होंगे, अनंत गोयनका ने एक ट्वीट किया : मैं आशा करता हूं कि बाइडन की जीत के बाद अमेरिकी समाचार मीडिया अपने पक्षपातपूर्ण तरीके के बारे में आत्मावलोकन करेगा. वह केवल अपने प्रति वफादारों और ईको-कक्ष समुदाय के पाठकों के बजाय अवश्य ही सकल आबादी के विचारों का...
More »मोदी का उदय चंद कारपोरेट घरानों का विकास है : आरएलडी उपाध्यक्ष जयंत सिंह चौधरी
-कारवां, जयंत सिंह चौधरी राष्ट्रीय लोक दल के उपाध्यक्ष हैं. इस पार्टी का पश्चिमी उत्तर प्रदेश में आधार है. आरएलडी का गठन 1996 में जयंत के पिता अजित ने जनता दल से अलग हो कर किया था. इसकी पूर्ववर्ती पार्टी लोक दल थी, जिसकी स्थापना 1980 में जयंत के दादा चौधरी चरण सिंह ने की थी. चरण सिंह भारत के पूर्व प्रधानमंत्री और प्रसिद्ध किसान नेता रहे. अपनी स्थापना के बाद...
More »पेरेंट्स चाहते हैं कि स्कूल फिर से खुलें, ऑनलाइन कक्षाएं कारगर नहीं- अज़ीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी की स्टडी
-द प्रिंट, बेंगलुरू स्थित अज़ीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी की पांच राज्यों में की गई एक स्टडी में पता चला है कि पब्लिक स्कूलों में ऑनलाइन शिक्षा कारगर साबित नहीं हो रही है और स्कूलों के फिर से खुलते ही पेरेंट्स अपने बच्चों को स्कूल भेजना चाहते हैं. मिथ्स ऑफ ऑनलाइन एजुकेशन नामक इस स्टडी में, मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तराखंड, कर्नाटक और छत्तीसगढ़ में 1,522 पेरेंट्स और 398 टीचर्स से सवाल किए गए थे. सोमवार...
More »खुद की अदालत में मीडिया-- मृणाल पांडे
हमारे साहित्य या मीडिया में खुद अपने भीतरी जीवन की सच्चाई जिक्री तौर से ज्यादा, फिक्री तौर से कम आती है. मसलन दर्शक-पाठक भली तरह जान चुके हैं कि मीडिया के भीतर कैसी मानवीय व्यवस्थाएं हैं, खबरें कैसे जमा या ब्रेक होती हैं. पत्रकारों के बीच एक्सक्लूसिव खबर देने के लिए कैसी तगड़ी स्पर्धा होती है. लेकिन, पिछले दो दशकों में उपन्यासों, कहानियों या मीडिया पर लिखे जानेवाले काॅलमों में...
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