SEARCH RESULT

Total Matching Records found : 2612

शोषण से मुनाफा: निजी क्षेत्र में जबरन मजदूरी से हो रहा सालाना 20 लाख करोड़ का अवैध मुनाफा

मोंगाबे हिंदी, 21 मार्च क्या आप जानते हैं कि दुनिया में करीब 2.76 करोड़ लोग हर दिन जबरन मजदूरी करने को मजबूर हैं। मतलब कि प्रति हजार लोगों पर 3.5 लोग वो हैं जो आधुनिक दासता के इस दलदल में फंसे हैं। यह जानकारी अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) द्वारा जारी नई रिपोर्ट 'प्रोफिट्स एंड पावर्टी: द इकोनॉमिक्स ऑफ फोर्स्ड लेबर' में सामने आई है। आंकड़ों के मुताबिक जबरन मजदूरी के हर 10...

More »

वन संरक्षण में मदद करते हैं वन गुज्जर, लेकिन अधिकारों से वंचित हैं

द थर्ड पोल वन गुज्जर समुदाय के एक नेता मोहम्मद साफी कहते हैं, “वन गुज्जरों को जंगलों से हटाओ…और सभी जानवर प्यास से मर जाएंगे।” वन गुज्जर प्राकृतिक झरनों से सुट्टा (छोटा तालाब) बनाते हैं, जो उनके मवेशियों और जंगली जानवर, दोनों को जीवित रहने के लिए गर्मी के महीनों में बेहद जरूरी पानी उपलब्ध कराते हैं। 55 वर्षीय साफी इस पारंपरिक चरवाहा समुदाय की उस जमीन को आकार देने में...

More »

पवित्र वन भूमि ओरण को डीम्ड फॉरेस्ट में बदलने के फैसले का ग्रामीणों ने शुरू किया विरोध

डाउन टू अर्थ, 07 मार्च राजस्थान में हाल ही में जारी एक अधिसूचना के बाद वन उत्पादों पर आश्रित समुदायों के बीच हड़कंप मच गया है। खासतौर से पश्चिमी राजस्थान में ऐसे समुदाय जो वन आधारित आजिविका चलाते हैं वे इस अधिसूचना के बाद सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे। इस अधिसूचना में राज्य सरकार ने पवित्र उपवन माने वाले जाने वाले ओरण को डीम्ड फॉरेस्ट यानी नामित वन मानने का प्रस्ताव किया...

More »

वनों की 1996 की परिभाषा पर लौटने का आदेश सराहनीय, लेकिन नाकाफी: विशेषज्ञ

कार्बन कॉपी, 27 फरवरी सुप्रीम कोर्ट ने 2023 में सरकार द्वारा वन संरक्षण अधिनियम (एफसीए) में किए गए संशोधनों पर रोक लगाते हुए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से कहा है कि वह उसके 1996 में दिए गए आदेश में वर्णित ‘वन’ की परिभाषा का पालन करें। यह पर्यावरण कार्यकर्ताओं और वन में रहने वाले समुदायों के लिए एक बड़ी जीत है। वन संरक्षण अधिनियम, 1980 में पिछले साल किए गए संशोधनों...

More »

खेती-बाड़ी को किस दिशा ले जाएगी घटते खेतों की प्रवृत्ति?

कार्बन कॉपी, 27 फरवरी दरअसल दुनिया अब नए खेतों को बनता नहीं देख पाएगी। बजाय इसके खेतों का एकीकरण शुरू होगा। भारत जैसे देशों के साथ ही एशिया, अफ्रीका व उत्तरी अमेरिका के अधिकांश गरीब और विकासशील देशों के लिए यह एक ऐसा बदलाव है, जिसके बारे में हमने कभी नहीं सोचा था। और इसलिए हम इसके परिणामों के लिए तैयार नहीं थे। उदाहरण के लिए भारत में क्रियाशील कृषि जोतों की...

More »

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close