-न्यूजलॉन्ड्री, 17 मार्च 2020 की तारीख लग गयी थी.आधी रात गुज़र चुकी थी और 22 साल का देवा मंडावी नीलावाया पंचायत के मल्लापारा गांव में अपने घर के आंगन में आराम से सो रहा था. रात के लगभग तीन बजे कुछ आवाज़ों से उसकी नींद खुल गई. उसने पाया कि खाट के अगल-बगल वर्दी पहने हथियारबंद लोग खड़े थे.उनमें से एक ने उसकी छाती पर बन्दूक के बट से वार किया.वो...
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जाति के समीकरण का टूटना- मनीषा प्रियम
गुरुवार को आए चुनावी नतीजे भारतीय लोकतंत्र के लिए काफी अहम हैं। नरेंद्र मोदी, भाजपा और उनका राष्ट्रवाद अब केंद्र में एकछत्र शासन कर सकने की स्थिति में हैं। कांग्रेसवाद और क्षेत्रवाद, दोनों का एक साथ पतन हुआ है। बेशक कभी इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस के लिए कहा जाता था कि वह ‘टीना' फैक्टर यानी ‘देअर इज नो अल्टरनेटिव टु इंदिरा गांधी' के कारण बार-बार जीतकर आती है,...
More »छत्तीसगढ़: ढाई साल में लगभग तीन हजार महिलाएं घरेलू हिंसा की शिकार
रायपुर: छत्तीसगढ़ में पिछले ढाई साल में लगभग तीन हजार महिलाएं घरेलू हिंसा की शिकार हुईं और पांच हजार से ज्यादा महिलाओं ने हेल्पलाइन के माध्यम से मदद मांगी. ये सभी अब निर्भया फंड से बनी महिला हेल्प लाईन (181) के माध्यम से अपनी लड़ाई लड़ रही हैं. हालांकि ऐसी महिलाओं की संख्या का अंदाज लगाना मुश्किल है जो मायके और ससुराल की बदनामी के डर से सारे जुल्म चुपचाप सहती...
More »गोरेपन की चाहत निरापद नहीं-- मनीषा सिंह
सरकार की मंशा है कि देश में अब गोरा बनाने का दावा करने वाली क्रीमें बिना डॉक्टर की पर्ची के न बिकें। इसके लिए सरकार ने एंटीबॉयोटिक दवाओं और स्टेरॉयड के मिश्रण वाली ऐसी चौदह तरह की क्रीमों को ‘ओवर द काउंटर' की सूची (जिन दवाओं के लिए डॉक्टर का लिखित पर्चा जरूरी नहीं है) से हटा दिया है। इसकी जगह इन्हें ‘शेड्यूल-एच' में शामिल किया है, जिसका मतलब यह...
More »शिक्षक को मजबूर बनाती व्यवस्था-- मनीषा सिंह
हमारे समाज में शिक्षक काफी सम्मान का पात्र समझा जाता रहा है। देश की भावी पीढ़ी या भविष्य कहलाने वाले बच्चों और अंतत: समाज को शिक्षा व सही दिशा-निर्देश देने की शिक्षक की भूमिका में तो अब भी कोई बदलाव नहीं हुआ है, पर आधुनिक व्यवस्था में वह समाज के सबसे निरीह प्राणी के रूप में देखा जाने लगा है। इसका कारण सिर्फ यह नहीं है कि शिक्षक के रूप...
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