इस लेख में राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय की ओर से जारी की जाने वाली आवधिक श्रमबल सर्वेक्षण रिपोर्ट (2022–23) का विश्लेषण किया है। यह रिपोर्ट देश में रोजगार और श्रम बाजार की वस्तुस्थिति का आधिकारिक दस्तावेज है। रिपोर्ट का कहना है कि रोजगार की सूरत–ए–हाल में सुधार आ रहा है। क्या वाकई बेरोजगारी घट रही है ? गौरतलब है कि इस सर्वेक्षण में मुख्यतः तीन तरह के आँकड़ों को दर्ज किया जाता है।...
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ग्लोबल हंगर इंडेक्स 2023: 125 देशों में 111वें स्थान पर भारत, कुपोषण की बेहद गंभीर है स्थिति
डाउन टू अर्थ, 17 अक्टूबर इस साल का ग्लोबल हंगर इंडेक्स 2023 जारी कर दिया गया है, जिसमें 125 देशों की सूची में भारत को 111वें पायदान पर रखा गया है, जो देश में बढ़ती भुखमरी और कुपोषण की गंभीर स्थिति को दर्शाता है। इस मामले में देश की स्थिति कितनी खराब है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि भारत अपने पडोसी देशों जैसे बांग्लादेश (81) , पाकिस्तान (102)...
More »किसान का 'जेंडर' ?
किसानों के ऊपर जब भी बात की जाती है तब उस बातचीत का दायरा इतना संकीर्ण क्यों हो जाता है ? सिर्फ ‘पुरुष’ किसान को ही किसानों का एकमात्र प्रतिनिधि मान लिया जाता है। ऐसा क्यों ? तमाम अखबारों से लेकर टीवी चैनलों के चित्रपटों पर ‘पुरुष’ किसान ही पूरे कृषक समुदाय का प्रतिनिधित्व कर रहा होता है। क्या इस देश की खेती–बाड़ी में महिलाओं का कोई योगदान नहीं है...
More »भारत में सिर्फ नौनिहाल ही नहीं बुजुर्गों को भी प्रभावित कर रहा है कुपोषण
डाउन टू अर्थ, 25 अगस्त भारत में कुपोषण सिर्फ बच्चों को ही नहीं बुजुर्गों को भी प्रभावित कर रहा, जो उनके स्वास्थ्य के लिए गंभीर समस्या बन सकता है। इस बारे में इंटरनेशनल इंस्टिट्यूट फॉर पापुलेशन साइंसेज से जुड़े शोधकर्ताओं द्वारा किए नए अध्ययन से पता चला है कि 60 वर्ष से ज्यादा उम्र के करीब 28 फीसदी पुरुषों और 25 फीसदी महिलाओं का वजन सामान्य से कम है। वहीं इसी आयु...
More »मनरेगा की तर्ज पर शहरी रोजगार गारंटी योजना कितनी जरूरी?
डाउन टू अर्थ, 23 अगस्त आज से ठीक एक साल पहले तक सरजू देवी के पास 10 गाय थीं। उनका पूरा परिवार दूध के काम में लगा था, लेकिन सितंबर 2022 लम्पी बीमारी की वजह से उनकी छह गाय मर गईं। वर्तमान में बची हुई चार में से दो गाय ही दूध देती हैं। वहीं, चारा इतना महंगा हो गया कि दूध बेचने के बाद भी गाय को पालना उनके लिए...
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