कोलकाता : बंगाल विशेष तौर पर रसगुल्ला और माछेर झोल-भात (मछली-भात) के लिए जाना जाता है. लेकिन शहरीकरण और जल प्रदूषण से मछलियों की आमद में कमी आयी है. इसका असर मछलियों के दाम पर पड़ा है. ऐसे में मछलियों के विकल्प के रूप में चिकन व मटन खाने का चलन बढ़ा हैं. बंगाल में चिकन हर उम्र के लोगों का पसंदीदा नॉनवेज फूड के रूप में उभरा...
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क्या असर होगा यूपी के खेतिहरों पर मांसबंदी का ?
अगर आपके मन में यह सवाल कौंध रहा है कि 'मांसबंदी' के नये फरमान के एकबारगी अमल में आने से यूपी के पशुपालकों पर क्या असर पड़ेगा तो नीचे लिखे तथ्यों को पढ़िए ! पशुगणना के नये आंकड़ों के मुताबिक देश में भैंस प्रजाति के पशुओं की संख्या 10 करोड़ 80 लाख है. इसका एक चौथाई से ज्यादा (28.7प्रतिशत) केवल यूपी में है. यूपी में भैंसों की संख्या राजस्थान से ढाई गुनी, आंध्रप्रदेश और गुजरात से तीन...
More »भूखे बाघों से शांति की उम्मीद क्यों? - अनिल प्रकाश जोशी
आज हम 'विश्व बाघ दिवस" दिवस मना रहे हैं, जिसका मकसद जंगली बाघों के आवास के संरक्षण और विस्तार को बढ़ावा देने के साथ-साथ बाघ संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाना है। अच्छी बात है कि बाघ-संरक्षण के प्रयासों का असर भी दिख रहा है। एक-दो माह पूर्व ही यह खबर आई थी कि पिछले पांच साल में दुनियाभर में बाघों की संख्या 3200 से बढ़कर 3980 तक पहुंच चुकी है।...
More »मांडू में 100 हेक्टेयर में बनेगा ग्रास लैंड
धार। वन विभाग तेंदुए के हमले की घटनाएं रोकने और उनकी सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाने जा रहा है। इसी के चलते जिले में खासकर वन क्षेत्र मांडू में करीब 100 हेक्टेयर में ग्रास लैंड (घास के मैदान) तैयार किए जाएंगे। इसके लिए वन विभाग ने प्रस्ताव तैयार करके उच्च स्तर पर भेज दिया है। प्राथमिक आकलन के हिसाब से करीब 40 लाख रुपए खर्च होंगे। इससे घास खाने के...
More »पर्यावरण के नजरिए से आहार- रमेश कुमार दुबे
अगर गोमांस (बीफ) के बढ़ते इस्तेमाल को पर्यावरण की दृष्टि से देखा जाए तो इतना विवाद न हो। गहराई से देखा जाए तो आज जलवायु परितर्वन, वैश्विक तापवृद्धि, भुखमरी, नई-नई बीमारियां प्रत्यक्ष रूप से मांसाहार के बढ़ते चलन से जुड़ी हुई हैं। संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनइपी) के मुताबिक एक मांस-बर्गर तैयार करने में तीन किलोग्राम कार्बन उत्सर्जित होता है। ऐसे में धरती की रक्षा के लिए मांस की बढ़ती...
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