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पीएम के गृहनगर में दलित ने की 'आत्महत्या'

गुजरात में वडनगर क्षेत्र के शेखपुर गांव में एक प्राथमिक स्कूल में मध्याह्न भोजन योजना (मिड डे मील) के प्रबंधक के रूप में काम करने वाले एक दलित व्यक्ति ने कथित रूप से आत्महत्या कर ली है. वडनगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गृहनगर है. आरोप है कि स्कूल के तीन शिक्षकों के शोषण से परेशान होकर महेश भाई चावड़ा नाम के शख्स ने आत्महत्या की. पुलिस ने छह फ़रवरी की शाम को शेखपुर...

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मिड डे मील की गरम दाल में गिरे दो बच्चे, झुलसे

चांडिल: ईचागढ़ प्रखंड के उत्क्रमित मध्य विद्यालय चिमटिया में मंगलवार को मिड डे मील की घंटी लगने पर दौड़े बच्चों में से दो बच्चे गरम दाल रखे बर्तन में गिर गये. घटना में दोनों बच्चे गंभीर रूप से झुलस गये हैं. इनमें पहली कक्षा का छात्र प्रशांत राय (6) व दूसरी कक्षा का छात्र राजीव सिंह (7) शामिल है. प्रधानाध्यापक सुमन हालदार ने बताया कि प्रशांत गंभीर रूप से झुलस...

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शिक्षा को तीर्थ कराती सरकारें-- नवीन जोशी

कश्मीर की अशांति, किसान आंदोलन और राष्ट्रपति चुनाव के शोर-शराबे के बीच जून के तीसरे सप्ताह में आयी दो महत्वपूर्ण खबरें खो गयीं. दोनों खबरें सरकारी तंत्र की शिक्षा के प्रति घोर उपेक्षा की कीमत पर दूसरी प्राथमिकताओं की तरफ इशारा करती हैं. पहली खबर 21 जून को पंजाब विधानसभा से मिली. वित्तमंत्री मनप्रीत सिंह बादल ने बताया सरकार ने अकाली-भाजपा सरकार द्वारा शुरू की गयी ‘मुख्यमंत्री तीरथ दर्शन यात्रा...

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शिक्षा की मुहिम में नजरंदाज हो जाते हैं दिव्यांग बच्चे-- अलका आर्य

हाल ही में संसद द्वारा दिव्यांगों (विकलांगों) के अधिकारों से जुडे़ जिस विधेयक को पारित किया गया है, उसमें दिव्यांग बच्चों के लिए कुछ खास प्रावधान हैं। अब दिव्यांग बच्चों को छह से 18 साल तक नि:शुल्क शिक्षा मुहैया कराई जाएगी, जबकि मौजूदा प्रावधान में यह आयु सीमा छह से 14 वर्ष है, जो शिक्षा के अधिकार कानून के तहत सभी वर्ग के बच्चों पर लागू होती है। दिव्यांग बच्चों...

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जीडीपी बनाम भूख सूचकांक-- धर्मेन्द्रपाल सिंह

ताजा विश्व भूख सूचकांक या ग्लोबल हंगर इंडेक्स (जीएचआइ) के अनुसार भारत की स्थिति अपने पड़ोसी मुल्क नेपाल, बांग्लादेश, श्रीलंका और चीन से बदतर है। यह सूचकांक हर साल अंतरराष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान (आइएफपीआरआइ) जारी करता है, जिससे दुनिया के विभिन्न देशों में भूख और कुपोषण की स्थिति का अंदाजा लगता है। आज केवल इक्कीस देशों में हालात हमसे बुरे हैं। विकासशील देशों की बात जाने दें, हमारे देश...

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