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नवीनतम एनएफएचएस डेटा: कुल प्रजनन दर में गिरावट की प्रवृत्ति के बीच केरल और तमिलनाडु अपवाद बनकर उभरे‍!

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण पांचवें दौर (एनएफएचएस-5) के दूसरे चरण के आंकड़े जारी होने के बाद, मीडिया टिप्पणीकारों और विशेषज्ञों ने लिखा है कि भारत के लिए कुल प्रजनन दर (टीएफआर) प्रतिस्थापन स्तर की प्रजनन क्षमता से नीचे चली गई है. साल 2015-16 में पूरे देश का कुल प्रजनन दर (टीएफआर) 2.2 थी, जो 2019-21 में घटकर 2.0 हो गई है. संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, प्रतिस्थापन स्तर की प्रजनन क्षमता तब...

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आवरण कथा: कोविड-19 वैक्सीन पर नियंत्रण की लड़ाई

-डाउन टू अर्थ, कोविड-19 महामारी के दौर में जोनस साल्क की याद पोलियो टीके को विकसित करने और उसका पेटेंट न करने वाले साल्क का दर्शन आज के दवा शोधकर्ताओं के लिए अभिशाप है एक थे जोनस साल्क। कुछ लोगों को बताने की जरूरत है कि वह कौन थे। साल्क एक वायरोलॉजिस्ट थे जिन्होंने 1955 आए पोलियो के टीके को सफलतापूर्वक विकसित किया था। यह वह समय था जब पोलियो दुनियाभर की स्वास्थ्य...

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भारत में कोविड की पहली लहर की तुलना में दूसरी में गर्भपात तीन गुना बढ़ा, ICMR शोध ने डेल्टा वैरिएंट को बताया वजह

-द प्रिंट, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) की तरफ से मुंबई में किया गया एक छोटा-सा अध्ययन बताता है कि भारत में दूसरी कोविड लहर के दौरान गर्भपात तीन गुना बढ़ गया है, और गर्भस्थ शिशुओं की मौत का एक बड़ा कारण कोरोनावायरस का डेल्टा वैरिएंट हो सकता है. अध्ययन में गर्भपात के लिए ‘सहज गर्भपात शब्द का उपयोग किया गया है, जिसका मतलब है गर्भधारण के 20 सप्ताह से पहले गर्भपात...

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तन मन जन: भारत में जनस्वास्थ्य और बच्चों की मौत

-जनपथ, आजकल उत्तर प्रदेश और बिहार से वायरल बुखार के कारण बच्चों के मृत्यु की खबर है। दो सौ से ज्यादा बच्चे वायरल बुखार से मर चुके हैं। उत्तर प्रदेश और बिहार के लगभग 25 जिले इस बुखार से बुरी तरह प्रभावित हैं। सरकारी अस्पतालों की हालत आज भी भरोसेमंद नहीं है। हम आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं और देश में जिला और प्रखण्ड स्तर में बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था...

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लोकतंत्र और विशेषाधिकार

-आउटलुक, “नागरिक अधिकारों, स्वतंत्रताओं को सीमित और सत्ता-प्राप्त व्यक्तियों के अधिकारों को व्यापक बनाया जा रहा” यूरोप में लोकतंत्र और लोकतांत्रिक चेतना का उदय और विकास एक लंबी संघर्ष-प्रक्रिया के दौरान हुआ लेकिन भारत में स्वाधीनता प्राप्ति के बाद लोकतंत्र की राजनीतिक प्रणाली को ऐसे समाज पर थोप दिया गया, जो अभी तक मध्यकालीन मूल्य-व्यवस्था और सामंती चेतना से मुक्त होने के लिए छटपटा रहा था। सामाजिक संरचना की प्राथमिक इकाई परिवार...

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