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हिमालय में ग्लेशियरों के घटने से विनाशकारी बाढ़ का खतरा बढ़ा

मोंगाबे हिंदी, 15 सितम्बर एक हालिया अध्ययन के अनुसार, हिमालय में बढ़ते तापमान और ग्लेशियरों के पिघलने के कारण जहां एक तरफ नई हिमनद झीलों का निर्माण हुआ है और वहीं दूसरी तरफ मौजूदा झीलों का भी विस्तार हुआ है, जिससे हिमनद झील विस्फोट बाढ़ यानी GLOF आने का खतरा बढ़ गया है। GLOF तब होता है जब हिमनदी झीलों का जल स्तर काफी ज्यादा बढ़ जाता है और इससे बड़ी मात्रा...

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जम्मू के जिलों में बढ़ते तापमान से स्थानीय जनजातियों की आजीविका को खतरा

मोंगाबे हिंदी, 05 सितम्बर  जम्मू यूनिवर्सिटी के भूगोल विभाग की एक रिसर्च टीम ने जलवायु परिवर्तन से पड़ने वाले प्रभाव के आधार पर जम्मू और कश्मीर में जम्मू प्रांत के 10 जिलों की रैंकिंग की। उन्होंने जम्मू प्रांत में बारिश और तापमान जैसे जलवायु परिवर्तन के जोखिम की सीमा का मूल्यांकन करने के लिए, श्रीनगर के भारत मौसम विज्ञान विभाग से मदद ली। टीम ने तीन दशकों में मौसम केंद्रों से...

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संदिग्ध है नैनो यूरिया का प्रभाव, इफको पर झूठा दावा करने का आरोप : शोध

डाउन टू अर्थ, 23 अगस्त देश की सबसे बड़ी खाद निर्माता कंपनी इंडियन फॉर्मर्स फर्टिलाइजर को-ऑपरेटिव (इफको) ने नोवेल नाइट्रोजन फर्टिलाइजर नैनो तरल यूरिया लांच करते हुए यह प्रचार किया था कि यह पूरी तरह वैज्ञानिक रूप से सिद्ध है। हालांकि एक हालिया ओपिनियन पेपर ने इसकी वैज्ञानिक प्रमाणिकता पर सवाल उठाते हुए अपने निष्कर्ष में कहा है नैनो यूरिया में शायद ही कोई विशेषता हो जो वैज्ञानिक रूप से सिद्ध...

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जम्मू-कश्मीर में बढ़ते राजमार्ग और सड़क दुर्घटनाओं में जानवरों के मरने की बढ़ती घटनाएं

मोंगाबे हिंदी, 21 अगस्त सितंबर 2011 में, जम्मू यूनिवर्सिटी के इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेन एनवायरनमेंट (आईएमई) के शोधकर्ताओं की एक टीम ने जम्मू-पुंछ राष्ट्रीय राजमार्ग पर सियार के एक जोड़े को मरा हुआ पाया। वन्यजीव शोधकर्ता नीरज शर्मा आईएमई की उस टीम का हिस्सा थे, जो उस दिन फ़ील्ड सर्वेक्षण के लिए निकली थी। उन्होंने कहा, “अफसोस की बात है कि मादा सियार गर्भवती थी। यह घटना मुझे परेशान करती रही। अगले...

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1993 से 2010 के बीच 80 सेंटीमीटर पूर्व की ओर झुक गई है पृथ्वी, लेकिन क्यों?

डाउन टू अर्थ, 20 जून एक नए अध्ययन के अनुसार, लोगों ने जमीन से भारी मात्रा में पानी को निकाल कर इसे कहीं और ले जाकर छोड़ दिया है, इसके कारण पृथ्वी 1993 से  2010 के बीच लगभग 80 सेंटीमीटर या 31.5 इंच पूर्व की ओर झुक गई है। जलवायु मॉडल के आधार पर, वैज्ञानिकों ने पहले अनुमान लगाया था कि लोगों ने 2,150 गीगाटन भूजल निकाल लिया था, जो कि 1993...

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