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सर्दियों में उत्तर और पूर्वी भारत रहे सबसे प्रदूषित, राजस्थान-बिहार के छोटे शहर नए हॉटस्पॉट बने

डाउन टू अर्थ, 21 मार्च जैसे ही सर्दी शुरू हुई, जहरीले वायु प्रदूषण के बढ़ने से एक बार फिर लोगों के स्वास्थ्य पर असर डाला। सितंबर-अक्टूबर में कम बारिश और सर्दी के पूरे मौसम में धीमी हवाओं जैसे मौसम संबंधी कारकों के कारण वायु प्रदूषण में वृद्धि हुई। दिल्ली स्थित थिंक टैंक सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट ने सर्दियों की वायु गुणवत्ता की समीक्षा के बाद रिपोर्ट जारी की है। जिसमें काफी...

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पवित्र वन भूमि ओरण को डीम्ड फॉरेस्ट में बदलने के फैसले का ग्रामीणों ने शुरू किया विरोध

डाउन टू अर्थ, 07 मार्च राजस्थान में हाल ही में जारी एक अधिसूचना के बाद वन उत्पादों पर आश्रित समुदायों के बीच हड़कंप मच गया है। खासतौर से पश्चिमी राजस्थान में ऐसे समुदाय जो वन आधारित आजिविका चलाते हैं वे इस अधिसूचना के बाद सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे। इस अधिसूचना में राज्य सरकार ने पवित्र उपवन माने वाले जाने वाले ओरण को डीम्ड फॉरेस्ट यानी नामित वन मानने का प्रस्ताव किया...

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क्या एम.एस.पी की मांग सिर्फ एक चुनावी नाटक है ?

वर्ष 2020 में केंद्र सरकार ने किसानों से जुड़े मसलों पर तीन कानून बनाएँ। जिसका किसानों ने भारी विरोध किया। दिल्ली की सरहदों पर डेरा डाला। करीब 13 महीनों की रस्सा-कशी के बाद समाधान का रास्ता निकला। केंद्र सरकार ने तीनों कानूनों को निरस्त कर दिया। किसानों ने धरना/आन्दोलन ख़त्म कर दिया। किसान अपने-अपने घरों की ओर लौट गए। करीब दो वर्ष बाद, एक बार फिर किसान दिल्ली की ओर...

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हसदेव अरण्य: विधानसभा के संकल्प, सुप्रीम कोर्ट में हलफनामे के बावजूद बढ़ता कोयला खनन

मोंगाबे हिंदी, 19 फरवरी छत्तीसगढ़ में बहुचर्चित हसदेव अरण्य के जंगल में पेड़ों की कटाई जारी है। राज्यपाल से लेकर विधानसभा तक ने, हसदेव अरण्य में कोयला खदानों पर रोक लगाने की बात कही है। यहां तक कि छत्तीसगढ़ सरकार ने खुद सुप्रीम कोर्ट में हलफ़नामा दे कर किसी नई कोयला खदान को गैरज़रुरी बताया है। छत्तीसगढ़ के आदिवासी 1878 वर्ग किलोमीटर में फैले हसदेव अरण्य के घने जंगल में कोयला...

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भेड़, बकरी और ऊंटनी के दूध से बने चीज़ में बढ़ रही दिलचस्पी, बड़ा हो रहा बाजार

मोंगाबे हिंदी, 30 जनवरी भारत में चीज़ का बाजार लगातार बढ़ता जा रहा है। मार्केट रिसर्च एजेंसी IMARC के अनुसार, साल 2022 में यह 7.13 अरब रुपए का था। माना जा रहा है कि 2028 तक यह 24.06 फीसदी की दर से बढ़कर 26.26 अरब डॉलर पर पहुंच जाएगा। राजस्थान में ऊंटनी के दूध से चीज़ बनाने वाली बहुला नेचुरल्स की संस्थापक आकृति श्रीवास्तव के अनुसार, पारंपरिक चीज़ का सीएजीआर (चक्रवृद्धि...

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