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घटे नहीं, अर्थव्यवस्था में बढ़ गये हैं जाली नोट- आरबीआई की रिपोर्ट

नोटबंदी का एक मकसद जाली नोटों के चलन पर अंकुश लगाना था लेकिन रिजर्व बैंक के नये आंकड़े कुछ अलग ही संकेत कर रहे हैं. आरबीआई के नये आंकड़ों के मुताबिक जाली नोटों के चलन में इजाफा हुआ है और साल 2017-18 के दौरान छोटे-बड़े लगभर हर मोल के फर्जी नोटों की संख्या बढ़ गई है.   हाल ही में जारी रिजर्व बैंक की सालाना रिपोर्ट(2017-18) के तथ्यों से पता...

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किसानों की आमदनी में सालाना बढ़वार सिर्फ 5.6 फीसद- नाबार्ड की नई रिपोर्ट

हाल के सालों में खेतिहर परिवारों की आमदनी में किस रफ्तार से बढ़ोत्तरी हुई है ? अगर इस सवाल का जवाब एकदम नये तथ्यों के सहारे जानने चाहते हों तो राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक(नाबार्ड) की एक हालिया रिपोर्ट आपके काम की साबित हो सकती है.   इस रिपोर्ट का नाम है नाबार्ड ऑल इंडिया रुरल फायनेन्शियल इन्क्लूजन सर्वे 2016-17 यानि संक्षेप में कहें तो एनएएफआईएस 2016-17 और इस रिपोर्ट का आकलन है कि...

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बाढ़ का गणित : 64 सालों में कब कितना हुआ नुकसान, पढ़े इस न्यूज एलर्ट में

क्या आप जानना चाहते हैं कि बाढ़ या भारी बारिश के कारण देश में हर साल कितने लोगों की जान जाती है, कितने मवेशी मौत का शिकार होते हैं, कितने मोल की फसल मारी जाती है और देश को हर साल कितनी संपत्ति का नुकसान होता है ?   आपके इन सवालों के जवाब छुपे हैं केंद्रीय जल आयोग के नये आंकड़ों में. बीते 64 सालों में बाढ़ और भारी बारिश से होने वाले...

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एक साल में आधी हो गई है कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर-- सीएसओ के नये आंकड़े

बीते वित्तवर्ष में कृषि क्षेत्र की बढ़वार की दर 2016-17 के मुकाबले तकरीबन 50 फीसद कम रही. केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय(सीएसओ) के नये आंकड़ों से पता चलता है 2016-17 में कृषि-क्षेत्र की वृद्धि दर 6.3 प्रतिशत रही जबकि 2017-18 में इस क्षेत्र का जीवीए(ग्रास वैल्यू एडेड/सकल मूल्य वर्धन) 3.4 प्रतिशत पर पहुंच गया है.   सीएसओ ने हाल में 2017-18 के लिए जीडीपी के अनंतिम अनुमान के साथ-साथ चौथी तिमाही, 2017-18 के लिए भी जीडीपी अनुमान...

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गरीबी का दंश, सिर छिपाने को झोपड़ी, स्ट्रीट लाइट में पढ़ाई

धमतरी। सरकार छात्र-छात्राओं के बेहतर भविष्य के लिए करोड़ों रुपये खर्च करने का दावा करती है। इसके बावजूद होनहार छात्र झोपड़ी में रहकर स्ट्रीट लाइट के नीचे पढ़ाई-लिखाई करने मजबूर हैं। बमुश्किल दो वक्त का खाना मिल पाता है। कई बार तो रात में भूखा सोना पड़ता है। ग्राम पंचायत डोमा में निवासरत शत्रुघन सोनवानी और उसके चार बच्चे की यही दास्तान है, जो शासन-प्रशासन की योजनाओं को मुंह चिढ़ाती...

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