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दिल्ली पर बढ़ता जलवायु संकट, बेमौसम बारिश, बढ़ती नमी के साथ रात में भी नहीं घट रहा तापमान: सीएसई रिपोर्ट

डाउन टू अर्थ, 01 नवम्बर  जलवायु परिवर्तन और चरम मौसम का असर अब देश की राजधानी पर भी दिखने लगा है। सेंटर फॉर साइंस एंड एन्वायरमेंट (सीएसई) ने अपनी नई रिपोर्ट “स्वैल्ट्रिंग नाइट्स: डीकोडिंग अर्बन हीट स्ट्रेस इन दिल्ली” में खुलासा किया है कि दिल्ली में जलवायु परिवर्तन के चलते मौसम तेजी से बदल रहा है। इसकी वजह से तापमान की तुलना में वातावरण में मौजूद नमी में तेजी से इजाफा...

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खाने की पौष्टिकता को कम कर रहा बढ़ता कार्बन डाइऑक्साइड

मोंगाबे हिंदी, 01 नवम्बर वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड का बढ़ता स्तर पौधों में प्रमुख खनिज पोषक तत्वों पर नकारात्मक असर डाल रहा है। इसकी वजह से उनमें पोषकता कम हो रही है। ‘ट्रेंड्स इन प्लांट साइंस’ जर्नल में एक हालिया समीक्षा लेख से इस बात की जानकारी मिली है। यह लेख कई अध्ययनों के निष्कर्षों का सारांश है। फ्रांस के वैज्ञानिकों द्वारा की गई समीक्षा में बताया गया कि लगभग सभी...

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धरती के 40 प्रतिशत जंगलों के जलने व कार्बन उत्सर्जन के लिए जिम्मेवार हैं 88 बड़े उद्योग, जानें कैसे?

डाउन टू अर्थ, 24 मई एक शोध के मुताबिक, पिछले 40 सालों में पश्चिमी अमेरिका और दक्षिण-पश्चिमी कनाडा में जंगल की आग से जले हुए लगभग 40 प्रतिशत जंगली इलाकों के लिए दुनिया के 88 सबसे बड़े उद्योग जिम्मेवार है। इन उद्योगों को जीवाश्म ईंधन और सीमेंट निर्माण से जुड़े कार्बन उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। शोध में कहा गया है कि, तेल और गैस कंपनियां जलवायु परिवर्तन...

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रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा क्लोरोफ्लोरोकार्बन, ओजोन को कर सकता है कमजोर

डाउन टू अर्थ, 06 अप्रैल  धरती को सूर्य से बचाने वाली ओजोन परत को कमजोर करने वाली क्लोरोफ्लोरोकार्बन पर दुनिया भर में प्रतिबंध लगा दिया गया था, लेकिन वैज्ञानिकों ने खुलासा किया कि कुछ मानव निर्मित क्लोरोफ्लोरोकार्बन रिकॉर्ड स्तर तक पहुंच गई है। जलवायु में बदलाव करने वाला यह उत्सर्जन लगातार बढ़ रहा है। अध्ययन के अनुसार, मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल के तहत प्रतिबंधित होने के बावजूद, पांच क्लोरोफ्लोरोकार्बन (सीएफसी) 2010 से 2020 तक...

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ये चार शहर दिखाते हैं कि कम उत्सर्जन के साथ विकास कैसे किया जा सकता है

द थर्ड पोल, 28 फरवरी शहर ग्रीन हाउस उत्सर्जन के प्रमुख स्रोत हैं। दरअसल, विश्व स्तर पर ग्रीन हाउस गैसों के कुल उत्सर्जन में तकरीबन 60 फीसदी हिस्सेदारी शहरों की है। और जैसा कि हमें पता ही है कि हमारा वातावरण, इन्हीं ग्रीन हाउस गैसों के कारण गर्म हो रहा है। मौजूदा समय में, शहरी क्षेत्र, जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के प्रति बेहद संवेदनशील हो चुके हैं। एशिया में यह स्थिति...

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