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यूरोपीय संघ ने दुनिया भर से मेंढकों की विलुप्ति का ठीकरा दूसरों के सिर फोड़ा

डाउन टू अर्थ , 10 फरवरी  यूरोपीय संघ में 2010 से 2019 के बीच, मेंढक के पैरों का कुल आयात 4.07 करोड़ किलोग्राम था, जो लगभग 2 अरब मेंढकों के बराबर है। जबकि बेल्जियम इनका मुख्य आयातक है, फ्रांस मुख्य उपभोक्ता है। यह खुलासा एक नए अध्ययन में किया गया है, जिसमें मेंढक के पैरों के व्यापार में भारी अस्थिरता और इसकी मांग को पूरा करने के लिए अन्य देशों पर...

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सफेद गैंडों के विलुप्त होने से बचाने के लिए वैज्ञानिकों ने खोजा अनोखा तरीका

डाउन टू अर्थ, 19 दिसंबर केन्या के सफेद गैंडों के विलुप्त होने से बचाने के लिए, बायोरेस्क्यू टीम गंभीर रूप से लुप्तप्राय उप-प्रजातियों के प्रयोगशाला में अंडे और शुक्राणु कोशिकाओं को विकसित करने का काम कर रही है। टीम ने इसे एक मील का पत्थर बताया है, उन्होंने स्टेम सेल से प्राइमर्डियल जर्म सेल उत्पन्न किए हैं जो दुनिया में पहली बार किया गया है। तैंतीस वर्षीय नाजिन और उनकी बेटी फातू...

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मुनाफे के मंसूबे में चौथी हरित क्रांति की भ्रांति

दैनिक ट्रिब्यून, 29 नवम्बर वह सब जो हाल में पढ़ा, अगर सच है तो चौथी हरित क्रांति मौजूदा कृषि व्यवस्था का हुलिया बदल देगी। परिष्कृत कृषि तकनीकें, जिसमें आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस सहित रोबोटिक्स, डिजिटल तकनीक और सिंथेटिक भोजन इत्यादि है, आखिरकार भोजन प्रणाली के केंद्रीयकरण एवं नियंत्रण बनाने की ओर ले जाती हैं। फायदेमंद पहलू से, ये संभावनाएं शुरुआत में उत्साहित करती हैं, पर नुकसान के नजरिए से, ऐसे हालात बनेंगे कि...

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अफ्रीकी चीतों को भारत लाना एक उचित कदम नहीं: विशेषज्ञ

इण्डियास्पेंड, 20 सितम्बर भारत से अंतिम ज्ञात एशियाई चीतों के विलुप्त होने के 70 साल बाद मध्य प्रदेश के कुनो राष्ट्रीय उद्यान में नामीबिया से लाये गए आठ अफ्रीकी चीतों का स्वागत ज़ोर शोर से किया जा रहा है। यह परियोजना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 17 सितंबर को उनके जन्मदिन पर शुरू की गई, जिसे चीतों के साथ-साथ उनके प्राकृतिक वास – घास के मैदानों के संरक्षण के लिए अपनी तरह की...

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जलवायु परिवर्तन है क्या, आसान शब्दों में समझें

-बीबीसी, मानवीय गतिविधियों और क्रिया-कलापों के कारण दुनिया का तापमान बढ़ रहा है और इससे जलवायु में होता जा रहा परिवर्तन अब मानव जीवन के हर पहलू के लिए ख़तरा बन चुका है. अगर इस पर ग़ौर नहीं किया गया और इसे यूं ही छोड़ दिया गया तो आने वाले समय में तापमान इस क़दर बढ़ जाएगा कि मानव जीवन पर संकट आ सकता है, भयावह सूखा पड़ सकता है, समुद्री जल...

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