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एमएसपी की कानूनी गारंटी- खाद्य सुरक्षा और किसान की जीवन रेखा

 डाउन टू अर्थ, 19 फरवरी न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की अनुशंसा केंद्र सरकार द्वारा की जाती है। इसका उद्देश्य किसानों को उनकी कृषि उपज के लिए न्यूनतम लाभकारी मूल्य दिलाना, बाजार में मुद्रास्फीति को नियंत्रित करके उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करना और देश की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना है। एमएसपी की शुरुआत 1966-67 में की गई थी, जब भारत में खाद्य पदार्थों की भारी कमी थी। तब सरकार ने घरेलू खाद्यान्न...

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कोविड-19 लॉकडाउन की वजह से भारत में बढ़ गया कुपोषण, अध्ययन में खुलासा

डाउन टू अर्थ, 09 फरवरी भारत की खाद्य प्रणालियों में व्यवधान के कारण कोविड-19 महामारी के दौरान कम वजन वाले बच्चों में तेजी से वृद्धि हुई, क्योंकि लॉकडाउन ने उनकी पोषण स्थिति को गंभीर रूप से प्रभावित किया। न्यूयॉर्क स्थित कॉर्नेल यूनिवर्सिटी के टाटा-कॉर्नेल इंस्टीट्यूट फॉर एग्रीकल्चर एंड न्यूट्रिशन (टीसीआई) के एक नए अध्ययन में यह बात कही गई है। शोधकर्ताओं ने भारत में लॉकडाउन समाप्त होने के 18 महीने बाद गणना...

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भेड़, बकरी और ऊंटनी के दूध से बने चीज़ में बढ़ रही दिलचस्पी, बड़ा हो रहा बाजार

मोंगाबे हिंदी, 30 जनवरी भारत में चीज़ का बाजार लगातार बढ़ता जा रहा है। मार्केट रिसर्च एजेंसी IMARC के अनुसार, साल 2022 में यह 7.13 अरब रुपए का था। माना जा रहा है कि 2028 तक यह 24.06 फीसदी की दर से बढ़कर 26.26 अरब डॉलर पर पहुंच जाएगा। राजस्थान में ऊंटनी के दूध से चीज़ बनाने वाली बहुला नेचुरल्स की संस्थापक आकृति श्रीवास्तव के अनुसार, पारंपरिक चीज़ का सीएजीआर (चक्रवृद्धि...

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मशीनों से की जा रही अंधाधुंध खेती से संकट में पड़े स्टेपी और लिटिल बस्टर्ड पक्षी

डाउन टू अर्थ, 24 जनवरी  मानवजनित कारणों से लुप्तप्राय स्टेपी-लैंड पक्षी और लिटिल बस्टर्ड को बचाने के लिए वैज्ञानिक, किसान और संरक्षणकर्ताओं के बीच सहयोग महत्वपूर्ण है। प्राकृतिक आवासों में कमी, सिंचाई में वृद्धि और शहरीकरण के कारण सतही क्षेत्र कम हो गए हैं, जो इस कमजोर प्रजाति के अस्तित्व के लिए अहम हैं। जर्नल बायोलॉजिकल कंजर्वेशन में प्रकाशित एक शोध से पता चलता है कि लिटिल बस्टर्ड की सबसे अधिक खतरे...

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भारत में खेती से बढ़ रहा है ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन, सरकार ने माना

डाउन टू अर्थ, 15 जनवरी भारत के ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कृषि दूसरा सबसे बड़ा योगदानकर्ता है। हालांकि 2016 से 2019 तक कुल उत्सर्जन में कृषि की हिस्सेदारी 14.4 प्रतिशत से घटकर 13.4 प्रतिशत हुई है, लेकिन फिर भी इस क्षेत्र से होने वाला पूर्ण उत्सर्जन 3.2 प्रतिशत बढ़ गया, जो 421 मीट्रिक टन कार्बन डाइऑक्साइड के समकक्ष (MtCO2e) तक पहुंच गया। कृषि के कारण कुल उत्सर्जन 4.5 प्रतिशत बढ़कर 2019 में...

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