संविधान का अनुच्छेद इक्कीस जीने का अधिकार ही नहीं देता, बल्कि सम्मान से पूर्ण स्वस्थता के साथ जीने का अधिकार देता है। पर हमारा यह अधिकार कितना सुरक्षित है? विश्व जनसंख्या में साढ़े सोलह प्रतिशत की भागीदारी निभाने वाले भारत की विश्व की बीमारियों में हिस्सेदारी बीस प्रतिशत है। भारत में सार्वजनिक स्वास्थ्य-व्यवस्था और स्वास्थ्य शिक्षा की आवश्यकता और प्रचलन की पहचान प्राचीन है। भारत में औपचारिक तौर पर स्वास्थ्य...
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श्रीनगर क्यों न हो पहली स्मार्ट सिटी- शंकर अय्यर
'अगर फिरदौस बरोए जमीन अस्त, हमी अस्तो, हमी अस्तो हमी अस्त।' कश्मीर को धरती का स्वर्ग बताते हुए महान शायर अमीर खुसरो ने कभी यह पंक्तियां कही थीं। मगर 2014 में भीषण बाढ़ की त्रासदी से अब तक न उबर सके कश्मीर की हालत कुछ और ही कहानी बयां करती है। सर्दियों के दस्तक देने के साथ यहां के बेघरबार, विद्यार्थी, छोटे व्यापारी और दूसरे तमाम लोग जिस तरह अपने अस्तित्व...
More »क्या गरीबी कभी खत्म हो सकती है?- लार्ड मेघनाद देसाई
लॉर्ड मेघनाद देसाई भारतीय मूल के ब्रिटिश अर्थशास्त्री और लेबर पार्टी से जुड़े राजनीतिज्ञ हैं. वह अर्थशास्त्र के विश्वविख्यात संस्थान, लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में प्रोफेसर रह चुके हैं. उन्होंने कई किताबें लिखी हैं. उनके 200 से ज्यादा लेख अकादमिक जर्नलों में प्रकाशित हो चुके हैं. वह कई भारतीय व ब्रिटिश अखबारों के लिए नियमित स्तंभ लिखते हैं. 5 सितंबर 2014 को उन्होंने पटना स्थित एशियन डेवलपमेंट रिसर्च इंस्टीट्यूट (आद्री) में...
More »महान लोकतंत्र की सौतेली संतानें- अतुल चौरसिया
नर्मदा और टिहरी की जो वर्तमान त्रासदी है उत्तर प्रदेश का सोनभद्र जिला उससे आधी सदी पूर्व ही गुजर चुका है. लेकिन इसका दुर्भाग्य कि नर्मदा, टिहरी के मुकाबले विनाश के कई गुना ज्यादा करीब होने के बावजूद यह आज कहीं मुद्दा ही नहीं है. शायद इसलिए कि सोनभद्र के पास कोई मेधा पाटकर या सुंदरलाल बहुगुणा नहीं हैं. अतुल चौरसिया की रिपोर्ट. फोटो: शैलेंद्र पांडेय. सोनभद्र को देखकर पहली नजर...
More »विकास की मरीचिका- शिवदयाल
जनसत्ता 12 दिसंबर, 2012: व्यापार और युद्ध-अभियान- सभ्यताओं के बीच संपर्क के यही दो प्रमुख माध्यम रहे हैं। यों, आप्रवास को भी एक माध्यम गिना जा सकता है, सबसे आदि कारण, जिसमें एक स्थान पर बसने वाला आदि मनुष्य-समूह भोजन या संसाधनों की खोज में एक स्थान से दूसरे स्थान पर विचरता था, लेकिन इसकी परिणति भी अंतत: युद्धों और समझौतों में ही होती थी। बाद में सभ्यता के विकास के साथ...
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