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“मोदी ने देश को घुटनों पर ला दिया”: टीएमसी नेता महुआ मोइत्रा

-आउटलुक, तृणमूल काग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा मोदी सरकार की प्रखर आलोचक हैं। हाल के चुनावी नतीजों, केंद्र सरकार के सात साल के कामकाज, मौजूदा दौर में उसकी छवि, कोविड की दूसरी लहर और केंद्र-राज्य संबंध जैसे विषयों पर आउटलुक के प्रीता नायर ने उनसे बात की। मुख्य अंश: हाल के वर्षों में केंद्र-राज्य संबंधों को आप कैसे देखती हैं? इस सरकार ने संघीय ढांचे को तार-तार कर दिया है। इसके दो कानूनों को लीजिए- एनआइए और...

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गांवों में गहराता कोरोना संकट: उत्तर प्रदेश में 97409 राजस्व गांवों में जांच के लिए अभियान

-डाउन टू अर्थ, उत्तर प्रदेश में संपन्न हुए त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के बाद स्थिति अभी तक बेकाबू है। जारी लॉकडाउन के बीच पंचायत चुनाव परिणाम के बाद जगह-जगह लोग जीत का जश्न मना रहे हैं। वहीं, अब भी कई ग्रामीण सीटों के परिणाम आना बाकी हैं, जिसका पटाक्षेप 4 मई को होगा। प्रदेश में लागू आंशिक लॉकडाउन न तो प्रभावी है और न ही गांवों में भीड़ की स्थिति सुधर रही...

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वैक्सीनेशन में यूपी का टॉप जिला रहा लखनऊ ‘टीका उत्सव’ के दौरान और उसके बाद क्यों पिछड़ गया

-द प्रिंट, राजधानी लखनऊ एक समय में टीकाकरण के मामले में उत्तर प्रदेश में बेहतरीन प्रदर्शन करने वाले जिले में शुमार रही थी, लेकिन 11 से 14 अप्रैल के बीच चार दिवसीय ‘टीका उत्सव’ के दौरान और उसके बाद से यहां कोविड-19 टीकाकरण में भारी गिरावट दर्ज की गई है. नवरात्रि के उपवास, जो 13 अप्रैल से शुरू हुए और 21 अप्रैल तक चलेंगे, की अवधि और कोविड संक्रमण के तेजी से...

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कोविड-19 वैक्सीन कितनी सुरक्षित है?

-बीबीसी, भारत में कोविड-19 से बचाव के लिए टीकाकरण अभियान जारी है. भारत में लोगों को दो तरह की वैक्सीन दी जा रही है. एक का नाम है कोविशील्ड जिसे एस्ट्राज़ेनेका और ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने तैयार किया और सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडिया ने इसका उत्पादन किया. और दूसरा टीका है भारतीय कंपनी भारत बायोटेक द्वारा बनाया गया कोवैक्सीन. ब्रिटेन समेत कई अन्य देशों में भी लोगों को वैक्सीन लगाई जा...

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‘उन सबको मार दिया गया है’– कोविड के बाद पोल्ट्री किसानों के लिए एक और विपदा लाया बर्ड फ्लू

-द प्रिंट, सुधीर कुमार को पोल्ट्री फार्म व्यवसाय में सिर्फ ढाई साल हुए हैं, लेकिन उन्हें ऐसा लगता है, जैसे सारी ज़िंदगी इसी में गुज़र गई है. बीते साल में, महामारी और उसके बाद लॉकडाउन्स ने, उनके कारोबार को अकल्पनीय नुक़सान पहुंचाया है. फार्म की कुल 50,000 मुर्ग़ियों में से आधी को, उन्हें खुद से मार देना पड़ा. कुमार ने दिप्रिंट को बताया, ‘हमने ज़मीन खोदी और उन्हें ज़बर्दस्ती दफ्न कर दिया....

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