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महामारी संकट : समुदाय आधारित भागीदारी बढ़ाने की जरूरत

-आउटलुक, महामारी की दूसरी लहर में पूरे देश में समुदाय सबसे अधिक व्यवहारिक (लचीली) संस्था के रूप में उभरे हैं। भारतीय परंपरा, मूल्य और सांस्कृतिक ताकत ने नई ऊर्जा और नए समूहों को स्वत: रूप से हम सबके सामने मदद के लिए लाकर खड़ा कर दिया है । इन सामुदायिक कार्यों ने ही समाज को राज्य और बाजार की विफलता से निपटने में सक्षम बनाया है। हालांकि इस बीच विभिन्न चिकित्सा...

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अधिक वजन और मोटापे से ग्रस्त लोगों में कहीं ज्यादा है कोरोना के गंभीर संक्रमण का खतरा

-डाउन टू अर्थ, हाल ही में किए एक शोध से पता चला है कि जो लोग मोटापे और वजन की समस्या से जूझ रहे हैं उनमें कोरोना के गंभीर संक्रमण का खतरा कहीं ज्यादा है| यही नहीं उन्हें इससे उबरने के लिए ऑक्सीजन और सांस सम्बन्धी उपायों का कहीं अधिक सहारा लेना पड़ता है| मर्डोक चिल्ड्रन रिसर्च इंस्टीट्यूट और द यूनिवर्सिटी ऑफ क्वींसलैंड द्वारा किया यह शोध जर्नल डायबिटीज केयर में...

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कोविड-19 : महाराष्ट्र सहित देश के अन्य हिस्सों में ऑक्सीजन की भारी कमी, अस्पताल परेशान

-कारवां, 2 सितंबर को पनवेल में निरामय हॉस्पिटल्स के मेडिकल निदेशक डॉ. अमित थडानी 16 घंटे तक ऑक्सीजन खोजते रहे. थडानी 55 बेड वाला अस्पताल चलाते हैं जो अब कोविड-19 अस्पताल है जहां मरीजों के लिए एक दिन में 70 ऑक्सीजन सिलेंडर की जरूरत होती है. थडानी ने ऑक्सीजन के 50 सिलेंडर मंगवाने के लिए कई ऑक्सीजन डीलरों को आर्डर दिए थे लेकिन उस दिन दोपहर तक उन्हें सिर्फ 20 मिल पाए...

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भोपाल गैस त्रासदी में विधवा हुईं महिलाओं की पेंशन फ़िर से शुरू करने की मांग

-द वायर, भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों के हित में काम करने वाले एक गैर सरकारी संगठन ने मध्य प्रदेश सरकार से इस आपदा के कारण विधवा हुईं महिलाओं की पेंशन फिर से शुरू करने की मांग की है. इनमें से कुछ महिलाएं पिछले दो दिन से क्रमिक भूख हड़ताल पर हैं. गैस पीड़ित निराश्रित पेंशन भोगी संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष बालकृष्ण नामदेव ने बृहस्पतिवार को कहा, ‘हम प्रदेश सरकार से दुनिया...

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हरियाणा: जान जोखिम में डाल सीवर साफ करने वाले रोहतक के कर्मचारियों को नहीं मिलता तय वेतन

-न्यूजलॉन्ड्री, साल 1995 की बात है. हरियाणा का रोहतक शहर बाढ़ से बुरी तरह जूझ रहा था. पानी की निकासी के सारे रास्ते बंद होने के कारण लोगों के घरों में चार-चार फुट तक पानी भर गया था. बाढ़ के पानी में शहर का मल-मूत्र भी तैर रहा था, जिसके कारण पूरे शहर का जीवन नरकीय हो गया था. ऐसी स्थिति में शहर को इस संकट से बचाने का सारा दबाव...

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