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अब बड़ा मसला है डाटा की सुरक्षा-- पवन दुग्गल

आधार पर सर्वोच्च न्यायालय की संविधान पीठ का फैसला उम्मीद के मुताबिक है। यह माना ही जा रहा था कि इतना आगे बढ़ जाने के बाद आधार से मुंह मोड़ा नहीं जा सकता। मगर हां, जिन शर्तों के साथ इसे कानूनी जामा पहनाया गया है, उसमें कई संदेश छिपे हैं। शीर्ष अदालत ने यह साफ कर दिया है कि कुछ सेवाओं को छोड़कर अब आधार का उपयोग अनिवार्य नहीं होगा।...

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नेट निरपेक्षता और साइबर अपराध-- अरविंद कुमार सिंह

हाल में भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राइ) द्वारा अपने अनुशंसा-पत्र में यह सुनिश्चित किया जाना कि इंटरनेट सेवा प्रदाताओं (आइएसपी) को अपने मुनाफे के लिए अथवा किसी खास वेब ट्रैफिक को रोकने, धीमा करने या उसकी गुणवत्ता को प्रभावित करने का हक नहीं है, एक तरह से इंटरनेट सेवा प्रदाताओं की मनमानी पर अंकुश लगाने वाला कदम है। ट्राइ ने इंटरनेट सेवा प्रदाताओं की मनमानी व चालबाजी को छल मानते...

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देश को सीटीओ की दरकार- राजीव चंद्रशेखर

डिजिटल इंडिया कार्यक्रम लोगों को सशक्त बनाएगा और वास्तव में भारत को बदल डालेगा। मौजूदा केंद्र सरकार ने 'न्यूनतम सरकार, अधिकतम शासन' का जो वायदा किया है, उसे साकार करने में यह प्रमुख भूमिका निभा सकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'न्यूनतम सरकार' की परिभाषा में एक ऐसे सरकार की परिकल्पना है, जिसमें मंजूरी की आवश्यकता न्यूनतम हो और नागरिकों के साथ उसका निरंतर संवाद हो। इसी तरह से 'अधिकतम...

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न्याय:कितना दूर-कितना पास

  खास बात  • साल २००९ के अप्रैल महीने तक सर्वोच्च न्यायालय में लंबित मुकदमों की संख्या ५०१४८ थी। केसों के निपटारे की गति बढ़ी है मगर शिकायतों के आने की गति और जजों की संख्या केसों के आने की गति की तुलना में अपर्याप्त साबित हो रही है।*  • दो साल पहले यानी साल २००७ के जनवरी महीने में सुप्रीम कोर्ट में लंबित केसों की संख्या ३९७८० थी। सुप्रीम कोर्ट लंबित केसों के निपटारे में तेजी लाने असहाय महसूस...

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