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बिहार में अक्षय ऊर्जा की रफ्तार को धीमी करती जमीन की कमी, क्या रूफटॉप सोलर हो सकता है समाधान

मोंगाबे हिंदी, 20 नवम्बर  इंवर्टर बल्ब, यानी बिजली जाने के बाद भी यह बल्ब तीन-चार घंटे तक रोशनी दे सकती है। सविता कुमारी की छोटी सी दुकान पर बिजली के दर्जनों उपकरणों में से एक इस बल्ब की एक और खासियत है। इसे सविता ने अपने कस्बे में ही बनाया है। बिहार के गया जिले में स्थित एक छोटे से कस्बे डोभी में रहने वाली सविता कुमारी सौर ऊर्जा आधारित एक...

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हर दिन 6 से 7 घंटे की कोचिंग क्लास, परीक्षा से पहले वाली परीक्षा, कोटा में तैयारी करने वाले छात्रों का जीवन इतना कठिन क्यों है? रिपोर्ट

इंडियास्पेंड, 16 नवम्बर   ब‍िहार की राजधानी पटना से लगभग 100 क‍िलोमीटर दूर गया ज‍िले के एकता कॉलोनी में रहने वाले आर्मी से सेवानिवृत्त विनोद कुमार अभी भी मानने को तैयार नहीं हैं क‍ि उनका बेटा वाल्मीकि कुमार आत्‍महत्‍या कर सकता है। "एक साल पहले ही तो कोटा गया था जेईई आईआईटी की तैयारी करने। पढ़ने में अच्‍छा था। हमें तो पता ही नहीं चल पाया क‍ि आख‍िर उसने आत्‍महत्‍या की क्‍यों। हमने...

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मनरेगा के तहत रोज़गार की मांग में वृद्धि जारी, अगस्त में पिछले साल की तुलना में 25.8 फीसदी का उछाल

 द वायर , 27 सितम्बर महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत 2022-23 में रोजगार की मांग में थोड़ी गिरावट के बाद इसमें एक बार फिर वृद्धि हुई है और अगस्त 2023 में 1.73 करोड़ से अधिक परिवारों ने इस योजना का लाभ उठाया है. इंडियन एक्सप्रेस ने मनरेगा पोर्टल पर उपलब्ध आंकड़ों के हवाले से बताया है कि इस साल अगस्त में इस योजना का लाभ उठाने वाले...

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जहरीली हवा के बीच काम करने को मजबूर होम डिलीवरी के बाइक चालक: स्टडी

मोंगाबे हिंदी, 11 सितम्बर अट्ठाइस साल के रोहित विश्वास की कोविड-19 महामारी के दौरान मार्केटिंग एक्जीक्यूटिव की नौकरी चली गई। इसके बाद उन्होंने 2021 में एक किराना डिलीवरी ऐप के लिए डिलीवरी करने का काम शुरू किया। वह हर दिन आठ से दस घंटे सड़क पर बिताते थे। हालांकि अब वह बाइक टैक्सी ऐप के लिए काम करते हैं, लेकिन उनका काम अभी भी मुश्किल है। वे हर दिन ट्रैफिक जाम...

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कटी हुई अँगुलियाँ और चमचमाती कारें

क्या आप जानते हैं कि आपकी कार बनाते समय कितने लोगों की अँगुलियाँ कट गई थी ? आपने जिस भी कंपनी से कार खरीदी है, क्या वहाँ सुरक्षा मानकों की पालना की जा रही थी ? मजदूरों की सुरक्षा के लिए कौनसे कदम उठाएँ गए हैं ? क्या वो पर्याप्त हैं ?  इसी तरह के सवाल का ज़वाब तलाशती है– ‘सेफ इन इंडिया’ की रिपोर्ट – सेफ्टी–नीति 2023 और CRUSHED 2022. ऑटो–मोबाइल क्षेत्र,...

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