‘पैसा ना कौड़ी, बीच बाजार में दौड़ा-दौड़ी’- क्या आपने कभी ये कहावत सुनी है? इस कहावत का ठीक-ठीक अर्थ समझना हो तो इस बार के अंतरिम बजट की एक खास घोषणा को गौर से पढ़िये! घोषणा हुई है कि दो हैक्टेयर तक की जोत वाले किसानों को सालाना आमदनी-सहायता के रुप में छह हजारे मिलेंगे, रुपया सीधा किसानों के बैंक-खाते में जायेगा. लेकिन क्या आपने अंतरिम वित्तमंत्री के अंतरिम बजट के हिसाब किताब पर...
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कृषि जोतों के आकार में कमी चिन्ता का सबब: नई कृषि जनगणना
खेती-किसानी के मोर्चे से एक बुरी खबर आयी है. नयी कृषि जनगणना के आंकड़ों का संकेत है देश में कृषि जोतों का औसत आकार लगातार कम हो रहा है.(आंकड़ों के लिए देखें नीचे दी गई लिंक) साल 2010-11 में कृषि जोतों का आकार 1.15 हेक्टेयर(राष्ट्रीय औसत) था जो पांच साल बाद 2015-16 में घटकर 1.08 हेक्टेयर हो गया है. कृषि-जोतों के आकार में कमी लागत और व्यावहारिकता के तकाजे से चिन्ता...
More »किसानों की हालत बदलनी होगी-- प्रो. योगेन्द्र यादव
पिछले दिनों एक उद्योगपति ने किसानों के बारे में बड़ी चौंकानेवाली बात कही. एक जमाने में इन्फोसिस की संस्थापक टीम के सदस्य रहे और आजकल भारतीय जनता पार्टी के नजदीक समझे जानेवाले उद्योगपति मोहनदास पई ने कहा कि देश में सिर्फ 16 प्रतिशत किसान हैं. उन्हें सिर्फ संख्या से मतलब नहीं था. वह एक राजनीतिक बात कह रहे थे कि देश में इतने छोटे से वर्ग को नाना प्रकार...
More »Budget 2018: छोटे किसानों को आम बजट में साधेगी सरकार
सुरेंद्र प्रसाद सिंह, नई दिल्ली। आगामी आम बजट में सरकार छोटे व सीमांत किसानों को साधने की कोशिश करेगी। इसके लिए गांवों की 22 हजार से अधिक हाट व छोटी खुदरा मंडियों को विकसित करने का प्रस्ताव है। इससे छोटे किसानों को अपनी उपज बेचने की सुविधा गांव में ही उपलब्ध हो जाएगी। देश में फिलहाल साढ़े सात हजार थोक मंडियां ही नियमित रूप से संचालित हो रही हैं। राष्ट्रीय स्तर...
More »पशुपालन से टूटता मोह--- रीता सिंह
यह चिंताजनक है कि कृषि प्रधान देश भारत में पशुपालन के प्रति लोगों की अरुचि बढ़ती जा रही है। मवेशियों की संख्या में लगातार गिरावट हो रही है। आजादी के बाद से 1992 तक देश में मवेशियों की संख्या में लगातार इजाफा हुआ है। लेकिन उसके बाद इनकी संख्या में लगातार गिरावट दर्ज की गई है। 2007 में पशुओं की संख्या में मामूली वृद्धि हुई थी लेकिन उसके बाद इनकी...
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