SEARCH RESULT

Total Matching Records found : 13

कैसे रुके शिशु मृत्यु दर-- रमेश सर्राफ धमोरा

किसी भी समाज की खुशहाली का अनुमान उसके बच्चों और माताओं को देख कर लगाया जा सकता है। पर जिस समाज में हर साल तीन लाख बच्चे एक दिन भी जिंदा नहीं रह पाते और करीब सवा लाख माताएं हर साल प्रसव के दौरान मर जाती हैं, उस समाज की दशा का अंदाजा लगाया जा सकता है। जब देश में आधुनिक चिकित्सा सुविधाओं की कोई कमी नहीं है, तब ऐसा...

More »

कुपोषण-- यह है गुजरात का सच

भारत सरकार स्वास्थ्य पर कई अभियान चला रही है लेकिन कुपोषण के राज्यवार आंकडे़ जारी नहीं हुए। सरकार ने यूनिसेफ के साथ महिलाओं, बच्चों पर देश भर में ‘रैपिड सर्वे ऑफ चिल्ड्रन' नाम से बड़ा सर्वेक्षण कराया था, जो अक्टूबर 2014 में प्रकाशित होना था। आंकड़े नहीं होने के कारण यूनिसेफ विकास योजनाओं को अमल में नहीं ला पा रही है। सरकार इस पर मौन है, जबकि बीबीसी को मिली...

More »

दिल्ली की फैक्टरियों में आठ हजार बाल श्रमिक

नई दिल्ली। दिल्ली की कपड़ा फैक्टरियों में आठ हजार बाल श्रमिक काम कर रहे हैं। एक गैर सरकारी संगठन 'सेव द चिल्ड्रन' की रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है। रिपोर्ट 'द हिडन वर्कफोर्स' शीर्षक से शुक्रवार को दिल्ली के महिला एवं बाल विकास मंत्री संदीप कुमार ने जारी की। रिपोर्ट में कहा गया है कि कपड़ा कारखानों में आठ हजार बाल श्रमिक हैं जिनमें से 70 प्रतिशत लड़कियां हो सकती...

More »

सर्वे: पूरी दुनिया में मारे जाने वाले 29 प्रतिशत नवजात भारतीय

लंदन: दुनियाभर में एक साल में दस लाख बच्चों की जन्म के एक दिन के भीतर ही मृत्यु हो जाती है जिनमें आश्चर्यजनक तरीके से 29 प्रतिशत बच्चे भारत के होते हैं. यह खुलासा एक जानेमाने एनजीओ ने किया. ‘सेव द चिल्ड्रन’ ने एक रिपोर्ट में कहा, ‘‘दुनियाभर में अपने जन्म के पहले दिन ही मारे जाने वाले बच्चों का 29 प्रतिशत अकेले भारत में हैं. इस चीज को भारत जैसे देश...

More »

गर्भावस्था है किशोरियों में मौत का सबसे बड़ा कारण

एक नई रिपोर्ट के मुताबिक किशोरियों में मौत का सबसे बड़ा कारण कम उम्र में उनका गर्भ धारण करना होता है. सेव द चिल्ड्रिन नाम की संस्था की रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रसव के दौरान संक्रमण या बीमारी के चलते 10 लाख किशोरियों की मौत हो जाती है या वे किसी न किसी रूप से जख्मी हो जाती हैं. इस समस्या का सबसे बड़ा कारण गर्भनिरोधकों तक पहुँच न...

More »

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close