मोंगाबे हिंदी, 20 नवम्बर इंवर्टर बल्ब, यानी बिजली जाने के बाद भी यह बल्ब तीन-चार घंटे तक रोशनी दे सकती है। सविता कुमारी की छोटी सी दुकान पर बिजली के दर्जनों उपकरणों में से एक इस बल्ब की एक और खासियत है। इसे सविता ने अपने कस्बे में ही बनाया है। बिहार के गया जिले में स्थित एक छोटे से कस्बे डोभी में रहने वाली सविता कुमारी सौर ऊर्जा आधारित एक...
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किसान का 'जेंडर' ?
किसानों के ऊपर जब भी बात की जाती है तब उस बातचीत का दायरा इतना संकीर्ण क्यों हो जाता है ? सिर्फ ‘पुरुष’ किसान को ही किसानों का एकमात्र प्रतिनिधि मान लिया जाता है। ऐसा क्यों ? तमाम अखबारों से लेकर टीवी चैनलों के चित्रपटों पर ‘पुरुष’ किसान ही पूरे कृषक समुदाय का प्रतिनिधित्व कर रहा होता है। क्या इस देश की खेती–बाड़ी में महिलाओं का कोई योगदान नहीं है...
More »साल 2022 में जल, जमीन, जंगल बचाने में 177 पर्यावरण रक्षकों ने गंवाई अपनी जान
डाउन टू अर्थ, 13 सितम्बर 2022 में जल, जमीन, जंगल और पर्यावरण को बचाने की जद्दोजेहद में 177 लोगों ने अपनी जान गंवाई है। मतलब की हर दूसरे दिन दुनिया के किसी न किसी हिस्से में कोई न कोई कार्यकर्ता, पर्यावरण को बचाने के लिए अपने जीवन की आहुति दे रहा है। 2012 से देखें तो अब तक 1910 लोगों की हत्या हो चुकी है। वहीं 2022 के दौरान एशिया में...
More »दिल्ली-एनसीआर में क्यों धंस रही है जमीन?
डाउन टू अर्थ, 14 अगस्त “कापसहेड़ा की सभी आवासीय सोसायटी भूजल दोहन करती हैं। हमने कभी नहीं सोचा था कि इससे हमारी जमीन धंस जाएगी।” यह कहना है, भू-धंसाव से क्षुब्ध दक्षिण-पश्चिम दिल्ली की सूर्या विहार हाउसिंग सोसाइटी के अध्यक्ष राजेश गेरा का। उनकी सोसायटी इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से बमुश्किल 10 किमी की दूरी पर है। 2014 में सोसायटी की पार्किंग के एक खंभे में दरार आ गई थी। 2019...
More »बंजर होता भारत -एक: 30 प्रतिशत जमीन पर नहीं उग रहा अनाज का एक भी दाना
डाउन टू अर्थ, 12 अप्रैल हर साल मॉनसून के दौरान हेमंत वामन चौरे को एक विकट समस्या का सामना करना पड़ता है। एक तरफ वह चाहते हैं कि बारिश आए, ताकि उनकी फसलों को पानी मिल सके। लेकिन, दूसरी तरफ वह इससे डरे हुए भी रहते हैं क्योंकि बरसात की रिमझिम फुहार भर से उनके खेतों में लगी पौध बर्बाद हो सकती है। महाराष्ट्र के धुले जिले में स्थित सकरी ब्लॉक...
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