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MSP की लड़ाई में न फंसे- भारत को WTO कानूनों में मौजूद असमानता को दूर करने का प्रयास करना होगा

-द प्रिंट, क्या भारत विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के तहत अपने कानूनी दायित्वों का उल्लंघन किए बिना अपने किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की वैध गारंटी दे सकता है? क्या हैं समर्थन मूल्य और कृषि सब्सिडी से संबंधित ये कानून और भारत की प्रतिबद्धताएं क्या हैं? अब तक, एमएसपी जैसे किसान समर्थक उपायों को लागू करने के लिए भारत एक तरफ खाद्य एवं आजीविका सुरक्षा और दूसरी तरफ डब्ल्यूटीओ कानून में...

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मानव तस्करी की घटनाओं पर मानवाधिकार आयोग ने राज्यों और मंत्रालयों को परामर्श जारी किया

-द वायर,   कोविड-19 महामारी के दौरान मानव तस्करी के मामलों में वृद्धि के मद्देनजर, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने विभिन्न राज्यों और मंत्रालयों को परामर्श जारी किए हैं. अधिकारियों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी. आयोग की ओर से जारी एक वक्तव्य में कहा गया कि मीडिया में आई कई खबरों के मुताबिक महामारी के दौरान मानव तस्करी की घटनाओं में वृद्धि हुई है. आयोग ने कहा कि देशभर में अभूतपूर्व स्थिति के...

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नौबत बाजा: रेडियो मिस्ड काॅल के जरिए बाल विवाह के खिलाफ जागरूकता फैलाने की अनूठी तकनीक

-लोक संवाद, मोबाइल फोन और रेडियो चैनल को आपस में जोड कर शिक्षा व मनोरंजन की तकनीक से इस्तेमाल किया गया एक नया प्रयोग नौबत बाजा रेडियो मिस्ड काॅल वाला बाल विवाह के खिलाफ जागरूकता फैला रहा... काॅलर को सिर्फ 7733959595  पर मिस्ड काॅल देनी होती है। इसके बाद दूसरे नम्बर से काॅल होती है और उस पर होती है ढेर सारी जानकारियां और मनोरंजक बातें।  राजस्थान में शिक्षा का प्रसार भले ही...

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यूएनईपी-आईएलआरआई रिपोर्ट: जूनोटिक रोगों के बढ़ते संक्रमण को रोकने के लिए मानवीय गतिविधियों पर निगरानी जरूरी

संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) और इंटरनेशनल लाइवस्टोक रिसर्च इंस्टीट्यूट (ILRI) द्वारा 6 जुलाई (इस वर्ष विश्व भर में अनुसंधान संस्थानों और गैर-सरकारी संगठनों द्वारा वर्ल्ड जूनोसेस डे के रूप में मनाया गया) को जारी की गई एक रिपोर्ट में यह बताया गया है कि मनुष्यों में 60 प्रतिशत ज्ञात संक्रामक रोगों की उत्पत्ति कहीं न कहीं एक जानवर से संबंधित रही है. इसी तरह, सभी नए और उभरते संक्रामक...

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कब मिलेगी प्रवासी मजदूरों को सामाजिक सुरक्षा?

-न्यूजक्लिक, वैसे तो अनौपचारिक क्षेत्र में कार्यरत प्रवासी मजदूरों के कल्याण के संरक्षण को लेकर कई कानून मौजूद हैं, लेकिन वे शायद ही कभी अमल में लाये जाते हैं। एक आदिवासी प्रवासी महिला की मौत ने जो कि भिवंडी के नजदीक धान के खेतों में काम करती थी, की मौत ने प्रवासी मजदूरों की सामजिक सुरक्षा की जरूरत को एक बार फिर से रेखांकित किया है। चालीस वर्षीया चन्द्राबाई थालेकर, जिनके तीन...

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