नई दिल्ली [जयप्रकाश रंजन]। फंसे कर्ज को लेकर बैंकों की मुसीबत बढ़ती जा रही है। आर्थिक मंदी की वजह से आने वाले दिनों में फंसे कर्ज यानी नॉन परफॉर्मिग असेट्स [एनपीए] के बढ़ने की आशंका बढ़ी है। वहीं, फंसे कर्जे को वसूलने की मौजूदा व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त होती दिख रही है। ऋण वसूली प्राधिकरण, लोक अदालतों व अन्य तरीके से बैंक पिछले वित्त वर्ष 2012-13 में कुल फंसे कर्जे...
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बैंकों के 68,000 करोड़ रुपये अधर में लटके
चोट - सूत्रों के मुताबिक 7,295 व्यक्तियों या कंपनियों में से प्रत्येक ने 27 बैंकों से एक-एक करोड़ रुपये या उससे ज्यादा कर्ज लिया, और उसे अब तक नहीं चुकाया है सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने 68,000 करोड़ रुपये से ज्यादा के कर्ज की वसूली नहीं की है।यह आंकड़ा मार्च,2012 यानी एक वर्ष पहले...
More »खाद्य सुरक्षा की खातिर - सुभाष वर्मा
जनसत्ता 5 जनवरी, 2012: पूरी दुनिया में एक सौ पचीस करोड़ से अधिक लोग भूख से त्रस्त हैं, जिनमें से एक तिहाई लोग भारत के गरीब हैं। नवीनतम वैश्विक भूख सूचकांक में भारत का स्थान बहुत नीचे, इक्यासी देशों के बीच सड़सठवां है। इसलिए यह स्वागत-योग्य है कि भारत सरकार ने खाद्य सुरक्षा की गारंटी देने वाला विधेयक संसद में पेश किया है। इस विधेयक में ग्रामीण इलाकों की पचहत्तर फीसद और...
More »हाईकोर्ट का फैसला तय करेगा नोएडा एक्स. का भविष्य
ग्रेटर नोएडा। नोएडा एक्सटेंशन का भविष्य मंगलवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट में होने वाली सुनवाई पर टिका हुआ है। प्राधिकरण, किसान, बिल्डर, निवेशक, ठेकेदार व मजदूर सभी की निगाहें इस पर लगी हुई हैं। साबेरी व पतवाड़ी की तरह कोर्ट का निर्णय किसानों के पक्ष में आया तो समूचे नोएडा एक्सटेंशन पर ग्रहण लग जाएगा। ऐमनाबाद गांव में बिल्डरों की तीन परियोजनाओं को छोड़कर बाकी सभी प्रभावित हो जाएंगी। हाईकोर्ट में मंगलवार...
More »विद्रोह के केंद्र में दिन और रातें
जाने-माने मानवाधिकार कार्यकर्ता और ईपीडब्ल्यू के सलाहकार संपादक गौतम नवलखा तथा स्वीडिश पत्रकार जॉन मिर्डल कुछ समय पहले भारत में माओवाद के प्रभाव वाले इलाकों में गए थे, जिसके दौरान उन्होंने भाकपा माओवादी के महासचिव गणपति से भी मुलाकात की थी. इस यात्रा से लौटने के बाद गौतम ने यह लंबा आलेख लिखा है, जिसमें वे न सिर्फ ऑपरेशन ग्रीन हंट के निहितार्थों की गहराई से पड़ताल करते हैं, बल्कि माओवादी...
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