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राजधानी से सटे गांवों में पुलिस बेंच रही शराब

भोपाल। राजधानी से सटे गांवों में पुलिस खुद शराब माफिया के साथ मिलकर शराब बिकवा रही है। इसके लिए शराब ठेकेदार ने थानों को जीप तक उपलब्ध करा रखी हैं। इसमें कथित ठेकेदार के लोगों के साथ पुलिसकर्मी खुद गांव-गांव जा रहे हैं। जिसकी ग्रामीणों ने गृहमंत्री जगदीश देवड़ा से लेकर आईजी डॉ. शैलेंद्र श्रीवास्तव तक से शिकायत कर चुके हैं लेकिन थाना प्रभारी पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। मामला...

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चुनार के खेतों में जम रहा है सीमेंट

चुनार। इस क्षेत्र के आसपास किसानों की जमीन बढ़ते प्रदूषण के चलते बंजर होती जा रही है। चुनार की सीमेंट फैक्ट्री के आसपास के दजर्न भर गांव में किसानों साढ़े चार हजर एकड़ जमीन की फसल बर्बाद हो चुकी है। इन गांवों में बड़े गांव, डुलडुमा, तिरऊलीपुर, बकियाबाद, सोनऊरगंज, जमुहार, नुआंव, मडर्ठपर, छिलहिया, जरहा, चौकिया, मीरपुर जमुई जसे गांव शामिल हैं। इन गांवों के किसानों के खेतों में सीमेंट जम...

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एक चिठ्ठी बस्तर की व्यथा की......

छत्तीसगढ़  के तृणमूल स्तर के कई कार्यकर्ताओ ने देश के जनपक्षी धड़ों के लिए एक टिप्पणी जारी की है। इस टिप्पणी में छत्तीसगढ़ में सुरक्षा बलों और आदिवासियों के बीच जारी संघर्ष को विराम देने की अपील की गई है।छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा से संबद्ध सुधा भारद्वाज का तर्क है कि विद्रोह को दबाने के नाम पर छत्तीसगढ़ में नरसंहार की आशंका बलवती हो गई है और इसे रोकने के लिए...

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किसान आंदोलन में भूमि सुधार का मुद्दा अहमः पावेल कुस्सा, द जर्नी ऑफ फार्मर्स रिबेलियन के विमोचन पर

वर्कर्स यूनिटी, 25 सितम्बर भारत में किसान आंदोलन के दो इतिहास हैं। एक भूमि सुधार जोकि 1947 से ही मौजूद है। और दूसरा ग्रीन रिवोल्यूशन के बाद पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी यूपी की बेल्ट में खेत मालिक किसानों के आंदोलन, जोकि फसलों के उचित दाम को लेकर हैं। मौजूदा किसान आंदोलन में भी एमएसपी का मुद्दा प्रमुख है। इन दोनों किस्म के आंदोलनों में ये ताज़ा आंदोलन इस मायने में अलग है कि...

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