जब भी दिल्ली के सरकारी भवनों में आला अधिकारी बैठकर भारत के गरीबों का हिसाब लगाने बैठते हैं, तो मुझे सख्त तकलीफ होती है। इसलिए कि ये लोग ऐसा करते हैं, सिर्फ अपने राजनीतिक आकाओं को खुश करने के लिए। अगर आंकड़ों से साबित कर सकते हैं योजना भवन के अधिकारी कि राजनेताओं की समझदारी, उनकी आर्थिक नीतियों से देश में गरीबी हट रही है देश में, तो राजनेता दोबारा...
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1.1 करोड़ ब्राजीलवासी झुग्गियों में रहते हैं
रियो डि जेनेरियो. लगभग 1.142 करोड़ ब्राजीलवासी झुग्गियों में रह रहे हैं, जो ब्राजील की कुल आबादी का छह फीसदी है। यह जानकारी एक ताजा रिपोर्ट से सामने आई। ब्राजीलियन इंस्टीट्यूट ऑफ जियोग्राफी एंड स्टैटिस्टिक्स द्वारा बुधवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक ब्राजील में झुग्गियों में काफी विषम परिस्थितियों में रहने वाले लोगों की संख्या पिछले 20 सालों में दो गुनी हो गई है। ब्राजील की लगभग आधी झुग्गी बस्तियां तीन बड़े शहरों...
More »दो लाख मकान बनाने का वायदा धोखा: मल्होत्रा
जनसत्ता संवाददाता नई दिल्ली, 14 दिसंबर। दिल्ली विधानसभा में विपक्ष के नेता प्रो. विजय कुमार मल्होत्रा ने एक बयान जारी कर केंद्रीय शहरी विकास मंत्री की ओर से दिल्ली के गरीबों के लिए दो लाख मकान बनाने के वायदे को जनता को धोखा देने का एक और कदम बताया। उन्होंने कहा कि यूपीए गठबंधन की सरकार पिछले 7 साल से केंद्र में सत्ता में है। और हर वर्ष दिल्ली में...
More »मुश्किल है गरीबों की पहचान? : हर्ष मंदर
यदि आप किसी गांव में जाएं और ग्रामीणों से पूछें कि यहां रहने वाले लोगों में से कौन गरीब हैं, तो उनके लिए इस सवाल का जवाब देना कठिन नहीं होगा। शायद वे किसी दृष्टिहीन विधवा का नाम बताएं, या किसी बुजुर्ग दंपती की ओर इशारा करें, जो भीख मांगकर पेट भरते हैं, या कर्ज के बोझ तले दबे किन्हीं किसानों का उल्लेख करें। वे गरीबों की अपनी सूची में पिछड़ी जाति के...
More »मुद्दा: गरीब की नई परिभाषा
गरीबी: सभ्य समाज के इस सबसे बड़े अभिशाप को राष्ट्रपिता गांधी जी ने हिंसा का सबसे खराब रूप कहा। करेला उस पर नीम चढ़ा कि स्थिति यह कि गरीबों को 'गरीब' न मानना। हमारे हुक्मरानों ने गरीबों की नई परिभाषा गढ़ी है। अगर आप शहर में रहकर 32 रुपये और गांव में रहकर 26 रुपये प्रतिदिन से अधिक खर्च कर रहे हैं तो आप गरीब नहीं है। खुद को गरीब मानते...
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