द थर्ड पोल, 28 जुलाई भारत में प्रोजेक्ट टाइगर को शुरू हुए 50 साल से अधिक हो चुके हैं। मौजूदा वक्त में भारत, दुनिया के 75 फीसदी जंगली बाघों का घर है। बाघों की स्थिति को लेकर 2022 की एक रिपोर्ट के अनुसार 2018 से 2022 के बीच इनकी संख्या 2,967 से बढ़कर 3,167 हो गई है। हालांकि यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि संख्या में बढ़ोतरी के बावजूद...
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निवेश न मिलने के कारण पिछड़ा अक्षय ऊर्जा का लक्ष्य, आधे से भी कम हो रहा है निवेश
अक्षय ऊर्जा यानी रिन्यूएबल एनर्जी के लक्ष्य को हासिल करने के लिए देश को हर साल लगभग डेढ़ से दो लाख करोड़ रुपए के निवेश की जरूरत है, लेकिन अभी इस क्षेत्र में सालाना 75 हजार करोड़ रुपए का ही निवेश हो पा रहा है। ऐसे में अक्षय ऊर्जा के लक्ष्य को हासिल करने के लिए निवेश के नए-नए तरीके ईजाद करने होंगे। संसदीय समिति (ऊर्जा) द्वारा 25 जुलाई 2023 को...
More »बंद पड़े कोयला बिजली संयंत्रों का अधिग्रहण करना एनटीपीसी के लिए हो सकता है फायदे का सौदा: रिपोर्ट
मोंगाबे हिंदी, 26 जुलाई ऊर्जा बाजारों पर शोध करने वाली संस्था, इंस्टीट्यूट फॉर एनर्जी इकोनॉमिक्स एंड फाइनेंसियल एनालिसिस (आईईईएफए) की एक रिपोर्ट के अनुसार, नेशनल थर्मल पावर कॉर्पोरेशन (एनटीपीसी) को नए कोयला आधारित थर्मल पावर प्लांट बनाने के बजाय बंद पड़े थर्मल प्लांटों का अधिग्रहण करना चाहिए जो भारत की अल्पकालिक ऊर्जा सुरक्षा जरूरतों को पूरा करेंगे और ऋणदाताओं, मुख्य रूप से सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की बैलेंस शीट में सुधार...
More »वन संरक्षण अधिनियम में संशोधन से शुद्ध शून्य उत्सर्जन के लक्ष्य को हासिल करने में मिलेगी मदद: सरकार
डाउन टू अर्थ, 24 जुलाई केंद्र सरकार ने वन संरक्षण अधिनियम में संशोधन करने और उसमें प्रस्तावना को जोड़ने के लिए शुद्ध शून्य उत्सर्जन को आधार बनाया है। केंद्र सरकार के अनुसार उसका लक्ष्य वन संरक्षण अधिनियम में बदलाव करके शुद्ध शून्य उत्सर्जन के लक्ष्य को हासिल करना है। गौरतलब है कि इस वन संरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2023 को संसद के मौजूदा माॅनसून सत्र के दौरान चर्चा के लिए पेश किया...
More »दिल्ली की बाढ़ के बाद क्या भारतीय नीति निर्माता जलवायु अनुकूलन सबक पर ध्यान दे रहे हैं?
द थर्ड पोल, 24 जुलाई दिल्ली में आई बाढ़, पिछले सप्ताह से ही, भारत में, खबरों में बनी हुई है। इस बाढ़ के चलते, दिल्ली में विभिन्न राजनीतिक दलों के बीच, सियासी तकरार और आरोप-प्रत्यारोप तेज हो गया है। साथ ही, न्यूज चैनलों के स्टूडियो में भी रोजाना अच्छा-खासा वाक युद्ध देखने को मिल रहा है। लेकिन इस चीख-चिल्लाहट वाली बयानबाजी के बीच असली मुद्दा कहीं खो गया है। असली मुद्दा यही...
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