-द प्रिंट, दो महीने की अनलॉकिंग के बाद ज़्यादातर राज्यों में, प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएम-जे) का इस्तेमाल, लॉकडाउन से पहले के स्तर पर आ गया है. लेकिन इसमें एक पेंच है. सरकारी सुविधाओं के कोविड केयर में फंसे होने के कारण, ज़्यादातर राज्यों में पीएम-जे क्लेम्स में निजी अस्पतालों की हिस्सेदारी काफी बढ़ गई है. पीएम-जे सरकार की एक प्रमुख स्वास्थ्य बीमा स्कीम है. ये आयुष्मान भारत का हिस्सा है जिसमें...
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पिछले 20 सालों में सांप डसने से हुई 10 लाख से अधिक भारतीयों की मौत
हाल ही में, ‘ट्रेंडस् इन स्नेकबाइट मोर्टिलिटी इन इंडिया फ्रॉम 2000 टू 2019’ नामक एक शोध लेख प्रकाशित हुआ है, जोकि राष्ट्रीय स्तर पर, भारत में सांप के डसने मृत्यु दर के रुझानों से अवगत कराता है. शोध लेख के मुताबिक, जहरीले सांपों के डसने के कारण पिछले दो दशकों में 10 लाख से अधिक भारतीयों की मौत हुई है. ओपन एक्सेस जर्नल elifesciences.org में प्रकाशित इस शोध-आधारित अध्ययन में...
More »कोरोना संकट ने सबसे ज्यादा नुकसान जिन क्षेत्रों का किया है शिक्षा उनमें सबसे आगे है
-सत्याग्रह, जुलाई का महीना नई कक्षा, नई किताब-कॉपियों की खुशबू के साथ नए बस्ते, यूनिफॉर्म और जूतों की रंगत और कुछ नए चेहरों से दोस्ती का मौसम होता है. बरसात की आमद कन्फर्म हो चुकने के बाद, इस सीलन-उमस भरे मौसम का मिज़ाज कुछ ऐसा हुआ करता है कि सालों पहले पढ़ाई खत्म कर चुकने वालों को भी इन दिनों स्कूल से जुड़ा नॉस्टैल्जिया रह-रह कर सताता है. लेकिन 2020 किसी...
More »‘पोस्ट कोरोना वर्ल्ड’ की मार्च-अप्रैल कालीन परिकल्पनाओं का जुलाई आते-आते शीराज़ा बिखरने लगा है
-लोकवाणी, बीते मार्च महीने में, जब कोरोना संकट दुनिया के लगभग तमाम देशों को अपनी चपेट में ले चुका था, एक बहस चलनी शुरू हुई थी कि ‘पोस्ट कोविड-19 वर्ल्ड’ का स्वरूप कैसा होगा। हालांकि, अब जब…जुलाई आधा बीतते दुनिया के कई देशों में संकट इतना गहरा चुका है कि भविष्य की रूपरेखा धुंधली लगने लगी है, वर्त्तमान से जूझने में ही इतनी ऊर्जा का व्यय हो रहा है कि आम लोग...
More »‘आत्मनिर्भर भारत’: सरकार द्वारा जनता की जिम्मेदारियों से मुंह मोड़ने का बहाना?
-न्यूजलॉन्ड्री, कोरोना महामारी के लगातार बढ़ते प्रभाव के कारण एक ओर देश की सामाजिक आर्थिक एवं शैक्षिक स्थिति बद से बदतर बनती जा रही है तो दूसरी तरफ केंद्र सरकार ने आत्मनिर्भरता की घोषणा के द्वारा जनता के प्रति कई जवाबदेहियों से अपने को मुक्त कर लिया है जिसके चलते सभी क्षेत्रों में घोर निराशा का वातावरण छाया हुआ है. आर्थिक मोर्चे पर गरीबी रेखा के नीचे जीवनयापन करने वाले तथा...
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