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क्या सोचा क्या पाया

जिन सपनों को लेकर एक दशक पहले उत्तराखंड राज्य का गठन हुआ था उनमें से कितने सपने आंखों से उतरकर जमीन पर चल पाए हैं?  नौ नवंबर को उत्तराखंड राज्य दस साल का हो गया. दस साल की उम्र किसी राज्य का भविष्य तय करने के लिए काफी नहीं होती, पर ‘पूत के पांव पालने में ही दिख जाते हैं’ वाली कहावत के हिसाब से देखा जाए तो उस भविष्य का अंदाजा लगाने के...

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नक्सल प्रभावित जिलों के लिए 3,300 करोड रुपये की योजना मंजूर

नयी दिल्ली : विकास के माध्यम से नक्सलवाद पर नियंत्रण पाने के उद्देश्य से सरकार ने नौ राज्यों में नक्सल प्रभावित 60 आदिवासी एवं पिछडे जिलों के लिए 3,300 करोड रुपये की विशेष कार्ययोजना को मंजूरी दी है.     इस एकीकृत कार्ययोजना का उद्देश्य इन जिलों के लोगों की स्वास्थ्य देखभाल, पेयजल, शिक्षा तथा सडकों से जुडी समस्याओं का निराकरण करना है.इस आशय का फ़ैसला कल आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति...

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क्या सोचा क्या पाया

जिन सपनों को लेकर एक दशक पहले उत्तराखंड राज्य का गठन हुआ था उनमें से कितने सपने आंखों से उतरकर जमीन पर चल पाए हैं?  नौ नवंबर को उत्तराखंड राज्य दस साल का हो गया. दस साल की उम्र किसी राज्य का भविष्य तय करने के लिए काफी नहीं होती, पर ‘पूत के पांव पालने में ही दिख जाते हैं’ वाली कहावत के हिसाब से देखा जाए तो उस भविष्य का अंदाजा लगाने के...

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सर्वांगीण विकास को ध्यान में रखकर बने नई खनन नीति- राजेन्द्र अभ्यंकर

वेदांत, पोस्को और सिंधुदुर्ग। इन तीनों मामलों में मुद्दा एक ही है-खनन और संसाधन आधारित उद्योग के लिए एक सुविचारित नीति की आवश्यकता। पिछले दिनों सरकार ने उड़ीसा के पिछड़े कालाहांडी जिले में नियमगिरि पहाडिय़ों पर वेदांत को दी गई खनन की अनुमति वापस लेने का फैसला किया। उधर, उड़ीसा में पोस्को लौह अयस्क परियोजना पर गुप्ता समिति ने एक तरह से विभाजित फैसला दिया। इसके अलावा पश्चिमी घाट क्षेत्र...

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पाठशालाओं में छुआछूत की पैठ

अंजलि सिन्हा। अमेठी के पिछौरा गांव के जूनियर हाईस्कूल ने मिड डे मील पर उठी और पूरे सूबे में चर्चा का सबब बनी समस्या का समाधान निकाल लिया है। तय किया गया है कि दलित रसोइए की भी नियुक्ति होगी, लेकिन वह रसोई के बाहर ही काम करेगी और अंदर वाला काम यानी चूल्हे पर रसोई पकाने का काम सवर्ण रसोइया करेगी। आजाद, संप्रभुता संपन्न कहे जाने वाले दुनिया...

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