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मजदूर, प्लंबर और ब्यूटीशियन: कोरोना के बाद गांव लौटे प्रवासियों को रोजगार देने के लिए यूपी में महाभियान

-गांव कनेक्शन, सिर्फ़ मज़दूर नहीं, 23 लाख लोग जिनमें प्लंबर, इलेक्ट्रिशन, ब्यूटीशियन, जिम ट्रेनर, नर्स आदि शामिल हैं, पैदल, बसों में, ट्रेन में, ट्रकों के पीछे चढ़ कर महानगरों से उत्तर प्रदेश के अपने गांवों में वापस आ चुके हैं, और इस सवाल से जूझ रहे हैं- आगे क्या? लेकिन उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार ने गांव-गांव जाकर लाखों लोगों की "स्किल मैपिंग" का देश में सबसे बड़ा महाभियान शुरू...

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श्रमिक स्पेशल ट्रेनों का हाल : 10-10 घंटे तक आउटर पर सिग्नल नहीं, दिया जा रहा बासी खाना, शौचालय में पानी तक नहीं

-एनडीटीवी, जिन प्रवासी मजदूर श्रमिक ट्रेनों में बैठकर अपने पूर्वी यूपी और बिहार अपने घर आ रहे हैं रास्ते में उनकी भी दुदर्शा हो रही है. एक तो ट्रेनें देरी से चल रही हैं और न रास्ते में उनको खाना दिया जा रहा है, न डिब्बों की साफ-सफाई हो रही है. कुछ मजदूरों ने ट्रेनें रोके जाने पर रास्ते में प्रदर्शन भी किया है.  इसी तरह आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम से...

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मजदूरों की घर वापसी से बिहार में शुरू हो सकता है ज़मीन का ख़ूनी संघर्ष

-न्यूजलॉन्ड्री, जून 2019 की एक दोपहर बिहार के बांका जिले के चांदपुर गांव की रहने वाली 25 वर्षीय पूनम दिल्ली के प्रेस क्लब में अपनी दो साल की बेटी को लेकर खड़ी थीं. बेटी के शरीर पर कई दाग निकले हुए थे. उस दिन बंधुआ मजदूरों को छुड़ाने वाले एक स्वयंसेवी संगठन की प्रेस कांफ्रेंस थी. पूनम खुद एक बंधुआ मजदूर थी, लेकिन मजदूरों को वहां से निकालने में उनकी बड़ी...

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अगले 10 दिनों में 36 लाख लोगों को यात्रा करवाने की तैयारी : रेलवेे

-सत्याग्रह, अगले 10 दिन के दौरान भारतीय रेलवे 2600 विशेष ट्रेनों के जरिये करीब 36 लाख यात्रियों को उनके गंतव्य तक पहुंचाएगा. रेलवे बोर्ड के चेयरमैन विनोद कुमार यादव ने आज एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह जानकारी दी. उन्होंने यह भी कहा कि अभी फिलहाल रोजाना 200 ट्रेनें चल रही हैं और एक जून से 200 अतिरिक्त ट्रेनें चलाने की भी तैयारी है. उनके मुताबिक प्रवासी मजदूरों को उनके घर पहुंचाने के लिए...

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पथ का साथी: लौटते प्रवासियों की दिक्कतें कम करने में जुटे ग्रामीण

-डाउन टू अर्थ, डाउन टू अर्थ हिंदी के रिपोर्टर विवेक मिश्रा 16 मई 2020 से प्रवासी मजदूरों के साथ ही पैदल चल रहे हैं। उन्होंने इस दौरान भयावह हकीकत को जाना और समझा। वे गांव की ओर जा रहे या पहुंच चुके प्रवासियों की पीड़ा जानने की कोशिश कर रहे हैं कि क्या वे कभी अब शहर की ओर रुख करने की हिम्मत भविष्य में जुटा पाएंगे? उनके इस सफर को...

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