-कारवां, 27 जुलाई को एक अंतरराष्ट्रीय जांच के हिस्से के रूप में दि वायर ने खुलासा किया कि कोवई रामकृष्णन का फोन नंबर उन 50000 फोन नंबरों में से एक है जिसकी इजरायली कंपनी एनएसओ के सॉफ्टवेयर पेगासास के जरिए जासूसी की जा रही है.पेगासस मैलवेयर है जो हैकर को फोन तक पहुंचने और उसकी निगरानी करने देता है. लीक हुए डेटाबेस फ्रांसीसी गैर-लाभकारी मीडिया संगठन फॉरबिडन स्टोरीज को प्राप्त हुआ था....
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बीजेपी के भव्य कार्यालय बन सकते हैं तो वादे अनुसार 10 हजार बेघर घुमंतू परिवारों के घर क्यों नहीं?
-गांव सवेरा, हरियाणा सरकार के सर्वे के अनुसार प्रदेश में 10 हजार ऐसे परिवार हैं जिनके पास मकान बनाने के लिए जमीन तक नहीं है. वहीं 2011 की जनगणना के मुताबिक देश में कुल बेघर लोगों की संख्या 10 लाख 30 हजार के करीब है, इनमें से अधिकतर बेघर लोग विमुक्त घुमंतू समुदाय से हैं. मकान बनाने के लिए जमीन न होने के कारण आजादी के सात दशक बाद भी डिनोटिफाइड...
More »स्कूल के दिनों में गोलकीपर रह चुके सीएम पटनायक का हॉकी को नया जीवनदान, फिर से बेहतर दिनों की उम्मीद
-आउटलुक, हॉकी जैसे तेज-तर्रार खेल में एक गोलकीपर मैदान पर सभी खिलाड़ियों में सबसे निष्क्रिय और बिना किसी तरह के सुर्खियों रहने वाला लग सकता है। लेकिन, खेल प्रशंसकों को पता होगा कि ये गोलकीपर ही होते हैं जो टीम को अपने बचाव को मजबूत करके और बाकी खिलाड़ियों को आक्रामक और गोल करने की अनुमति देकर टीम को मजबूती प्रदान करते हैं। एक ऐसा दिन जब पूरा भारत हॉकीमय हो गया है, जहां...
More »तन मन जन: कोरोना ने प्राइवेट बनाम सरकारी व्यवस्था का अंतर तो समझा दिया है, पर आगे?
-जनपथ, कोरोना वायरस संक्रमण (कोविड-2019) की महामारी ने देश की स्वास्थ्य व्यवस्था की कमजोरियों को उजागर करके रख दिया है। इस संक्रमण के दौर में सरकारी और निजी स्वास्थ्य व्यवस्था की असलियत जनता के सामने आ गयी, साथ ही दोनों के बीच विरोधाभास की कलई भी खुल गयी है। कोरोना महामारी से जूझते हुए देश की सरकारी और निजी स्वास्थ्य व्यवस्था ने अपनी रंगत दिखा दी और अब यह साफ तौर...
More »अरुंधति रॉय: पेगासस को महज एक नया तकनीकी हथकंडा कहकर नकारना एक गंभीर गलती होगी!
-गांव सवेरा, भारत में मौतों की मनहूसी का मौसम बड़ी तेज़ी से जासूसी के मौसम में बदलता हुआ दिखाई दे रहा है। कोरोना वायरस की दूसरी लहर उतर गई है, और अपने पीछे छोड़ गई है अंदाज़न 40 लाख भारतीयों की मौतें। मौतों का आधिकारिक सरकारी आंकड़ा इसका दसवां हिस्सा है– चार लाख। नरेंद्र मोदी की इस खौफनाक हुकूमत (डिस्टोपिया) में, जब श्मशान घाटों पर धुआं छंटने लगा और कब्रिस्तानों की मिट्टी...
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