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मोदी सरकार की खराब नीतियों और बुरे फैसलों की वजह से किसान बदहाल

भारत के किसान कुछ राहत की सांस ले सकते हैं, क्योंकि क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी (आरसीईपी) के तीखे विरोध ने मोदी सरकार को इस विनाशकारी कदम से पीछे हटने को मजबूर कर दिया है. पहले से ही खस्ताहाल अर्थव्यवस्था के लिए आरसीईपी किसी बुरे विचार जैसा था और खेती-किसानी जैसे संकटग्रस्त क्षेत्रों के लिए यह बर्बादी का वारंट था. पिछले हफ्ते राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय की लीक हुई रिपोर्ट के मुताबिक बीते...

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आख़िर क्यों मनरेगा मज़दूरों को नहीं मिलती उचित मज़दूरी?- देवमाल्या नंदी

महात्मा गांधी रोज़गार गारंटी क़ानून (मनरेगा) वह क़ानून है जिसके अंतर्गत देश में सबसे अधिक व्यक्तियों को रोज़गार मिलता है. प्रत्येक वर्ष लगभग 8 करोड़ ग्रामीणों को इस क़ानून के अंतर्गत ग्रामीण विकास के कार्यों में रोज़गार मिलता है. मनरेगा के तहत काम करने वाले लोगों के लिए दैनिक मज़दूरी हर साल भारत सरकार द्वारा तय की जाती है ताकि महंगाई के साथ इनकी मज़दूरी भी बढ़े. केंद्र की मोदी सरकार ने...

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तीस लाख मतदाता चाहें भी तो इस चुनाव में मतदान नहीं कर सकते- आखिर क्यों, पढ़िए इस एलर्ट में !

‘वोट इंडिया वोट' के नारे के साथ एक सरकारी वेबसाइट पर लिखा है- ‘ मतदान प्रक्रिया में भाग लें, मतदाता होने पर गर्व महसूस करें.' लेकिन क्या कभी आपने सोचा कि भारत की एक बड़ी कामगार आबादी चाहे तो भी वोट नहीं कर सकती ? ऐसे कामगारों में एक नाम आता है ईंट भट्ठे के मजदूरों का ! इस बार ईंट भट्ठे पर काम करने वाले तकरीबन 30 लाख मजदूर अपने...

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45 परिवारों की जिंदगी झोपड़ी में, 55 वर्षों में न अनाज मिला

रामगढ़ शहर से 15 किलोमीटर दूर कुजू-घाटो मुख्य सड़क से उतरने पर बमुश्किल 200 मीटर दूर कुंदरिया बस्ती का मल्हार टोला़ इस टोले तक जाने के लिए पथरीली संकरी सड़क, जंगल के बीच एक ऊंचे टीले पर प्लास्टिक से बनी दर्जनों झोपड़िया़ं जंगल की सूखी झाड़ियों की घेराबंदी कर बांस-बल्ली में प्लास्टिक लगा कर लाेगाें ने 40 से 50 झोपड़ी बना लिये़ ये कोई खानाबदोश नहीं, बल्कि अपने झारखंड...

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नियमित हों कॉलेज शिक्षक- आर के सिन्हा

अब देशभर के कॉलेजों में नये सत्र के लिए विद्यार्थियों के दाखिले की प्रक्रिया प्रारंभ हो चुकी है. प्रमुख विश्वविद्यालयों के नामी कॉलेजों में दाखिला लेने के लिए जबरदस्त मारामारी है. नब्बे फीसदी से अधिक अंक लानेवाले छात्र-छात्राओं को भी यकीन नहीं हो रहा है कि उन्हें उनकी पसंद के कॉलेज और विषय में दाखिला मिल ही जायेगा. यह तस्वीर का एक पक्ष है. दूसरा पक्ष भयावह है. उसे जानकर...

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