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देश भर में, 11,537 अनियमित कामगारों के साथ की गई सर्वेक्षण रिपोर्ट जारी की गई, “कोविड-19 के दौर में कामगार.“

-ऐक्शन एड,  अनियमित कामगारों के राष्ट्रीय सर्वेक्षण के अनुसार, “लॉकडाउन से अब तक 75% से ज़्यादा कामगार अपना रोज़गार गँवा चुके हैं.” देश भर में, 11,500 अनियमित कामगारों के साथ किए गए एक सर्वे के अनुसार, “लॉकडाउन के दौरान खाद्य उपभोग प्रभावित हुई है.  सर्वेक्षित 11,537 में से तीन-चौथाई से भी अधिक लोगों ने बताया कि लॉकडाउन घोषित होने के बाद उनका रोज़गार चला गया. इनमे से क़रीब आधे लोगों ने कहा कि उनकी इस दौरान कोई आय नहीं हुई, 17% लोगों का कहना था कि उन्हें आंशिक वेतन ही प्राप्त हुआ. तक़रीबन 53% लोगों का कहना था कि लॉकडाउन के दौरान उनके क़र्ज़ में इज़ाफ़ा हुआ. क़रीब...

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सैन्य कार्रवाई के जरिए आतंकवादियों को मार गिराना ही सिर्फ कश्मीर नीति नहीं हो सकती

-द प्रिंट, ले. जन. एचएस पनाग (रि.) ने अपनी नई किताब ‘द इंडियन आर्मी: रेमिनिसेंसेज़, रिफॉर्म्स एंड रोमांस ‘ में लिखा है, ‘दो सौ आतंकवादियों का सफाया कर दिया गया था, गर्मियों की घुसपैठ विरोधी मुद्रा स्थापित हो गई थी’. ये किताब कश्मीर में उनके कार्यकाल के बारे में भी बात करती है. लेकिन ले. जन. पनाग कोई हाल ही में रिटायर हुए ऑफिसर नहीं हैं, वो 2007 में नॉर्दर्न आर्मी कमांडर...

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ग्लोबल वार्मिंग के कारण एशियाई क्षेत्रों में हो रही है अधिक मानसूनी बारिश: अध्ययन

-डाउन टू अर्थ, आसाम, बिहार में लगातार बाढ़ की विभीषिका से हर साल लाखों लोग बेघर हो जाते है। इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ रेड क्रॉस के अनुसार भारत में अब तक 68 लाख से अधिक लोग बाढ़ से प्रभावित हुए हैं। हाल ही में भारत, बांग्लादेश और नेपाल में लगभग 550 लोग मारे गए हैं।  जबकि पिछले महीने बाढ़ आने के बाद से लाखों लोग अपने घरों से विस्थापित हो गए हैं।...

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प्रेमचंद 140 : जीवन के प्रति दहकती आस्था

-सत्यहिंदी, प्रेमचंद को लेकर साहित्यवालों में कई बार दुविधा देखी जाती है। उनका साहित्य प्रासंगिक तो है लेकिन क्यों? क्या ‘गोदान’ इसलिए प्रासंगिक है कि भारत में अब तक किसान आत्महत्या कर रहे हैं? या दलितों पर अत्याचार अभी भी जारी है, इसलिए ‘सद्गति’ और ‘ठाकुर का कुआँ’ प्रासंगिक है? क्या ‘रंगभूमि’ इसलिए पढ़ने योग्य बनी हुई है कि किसानों की ज़मीन कारखाने बनाने के लिए या ‘विकास’ के लिए अभी...

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अनुच्छेद 370 को उसी ढांचे में लाना राजनीतिक निर्णय से हो सकता, न्यायिक से नहीं: महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा मुफ्ती

-आउटलुक, पिपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की नेता और जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा मुफ्ती कश्मीर से जुड़े मुद्दों को लेकर मुखर रही हैं। मां महबूबा मुफ्ती के ट्विटर अकाउंट का इस्तेमाल करते हुए इल्तिजा ने कश्मीर पर लिए गए फैसलों को लेकर कई बार भाजपा नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की आलोचना की है। आउटलुक के नसीर गनई के साथ बातचीत में इल्तिजा का कहना है कि उन्हें...

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