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किसान आंदोलन का 21वां दिन, आज बंद करेंगे दिल्ली-नोएडा का चिल्ला बॉर्डर; केंद्र कर रही कानूनों को प्रमोट

-आउटलुक, केन्द्र सरकार की तरफ से लाए गए तीनों नए कृषि कानूनों के विरोध में 21 दिनों से देशभर के किसान संगठन प्रदर्शन कर रहे हैं। इस बीच आज यानी बुधवार को किसानों ने दिल्ली-नोएडा सड़क वाले चिल्ली बॉर्डर को पूरी तरह से बंद करने की चेतावनी दी है। किसानों का कहना है कि वो इस आंदोलन को और विशाल बनाएंगे। वहीं, किसानों का भाजपा पर आरोप है कि पार्टी कृषि...

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किसान आंदोलन 2020 : किसान नेताओं के लिए समझौतावादी नीति विकल्प नहीं

-कारवां, कीर्ति किसान यूनियन (केकेयू) के एक प्रमुख किसान नेता निर्भय सिंह धूडिके ने 9 दिसंबर मुझसे कहा कि “हमने उनसे कहा कि अगर आप हमें मारते हैं, तो हम बहादुर कहलाएंगे और अगर लोग हमें पीटेंगे, तो हमें देशद्रोही करार दिया जाएगा.” धूडिके ने 3 दिसंबर से दिल्ली के विज्ञान भवन में प्रदर्शनकारी किसानों और केंद्र सरकार के प्रतिनिधियों के बीच कई मैराथन बैठकों में से एक में तीन केंद्रीय...

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कृषि क़ानूनों के विरोध में एक दिन की भूख हड़ताल पर किसान

-बीबीसी, कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ किसानों का विरोध प्रदर्शन लगातार जारी है. सरकार और किसानों के बीच कोई सहमति नहीं बन पा रही है. हज़ारों की संख्या में किसान दिल्ली की सीमाओं पर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं. किसान संगठनों के नेता क़ानूनों के विरोध में आज एक दिन की भूख हड़ताल करने वाले हैं. किसानों का कहना है कि विरोध प्रदर्शन देश के अन्य हिस्सों में भी आयोजित किए जाएंगे. सिंघु बॉर्डर...

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किसान आंदोलन में बिहार के किसान क्यों नहीं हैं? खुद किसानों की जुबानी समझिए

-गांव कनेक्शन, देश के कई राज्यों के किसान कृषि कानूनों के विरोध में इस समय दिल्ली में प्रदर्शन कर रहे हैं। इस किसान आंदोलन में पंजाब और हरियाणा के किसान अग्रणी भूमिका में हैं तो पश्चिमी उत्तर प्रदेश में किसान दूसरी ओर से मोर्चा थामे हुए हैं, लेकिन इस किसान आंदोलन में बिहार कहां है? जबकि कृषि कानून के विरोध में बिहार का जिक्र बार-बार हो रहा है। कहीं-कहीं हुए प्रतिकात्मक विरोध...

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किसान क्या चाहते हैं और केंद्र सरकार क्या नहीं मानेगी

-इंडिया टूडे, करीब 20 किसान संगठनों के 26 नवंबर को पंजाब से दिल्ली तक हुए विरोध-प्रदर्शन और मार्च ने शायद केंद्रीय एजेंसियों तथा पंजाब भाजपा के नेतृत्व को हैरानी में डाल दिया. किसान संगठनों के सदस्य नए केंद्रीय कृषि कानूनों को अनुचित बताते हुए राष्ट्रीय राजधानी में डटे हुए हैं ताकि भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर दबाव बनाया जा सके. इस किसान आंदोलन में अनुमान है कि करीब 2,00,000...

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