SEARCH RESULT

Total Matching Records found : 391

जल संकट के लिए तैयार रहें-- आशुतोष चतुर्वेदी

र्मी शुरू हो गयी है. हम सब जानते हैं कि हर साल की तरह हमारे गांव, कस्बे और शहर पानी की कमी से जूझेंगे. लेकिन, इस विषय में हम तभी सोचते हैं, जब समस्या हमारे सिर पर आ खड़ी होती है. न तो सरकारों की ओर से कोई ठोस पहल होती है और न ही समाज की ओर से कोई अभियान छेड़ा जाता है. समस्या केवल कम बारिश की नहीं...

More »

खुशहाली का पैमाना और भारत-- राजू पांडेय

भारत के लोग दुनिया के और देशों के लोगों के मुकाबले कितने खुश हैं, इसका जवाब हमें वैश्विक खुशहाली सूचकांक से मिलता है। जवाब यह है कि दुनिया के एक सौ दस देश हमसे ज्यादा खुशहाल हैं। इतना ही नहीं, खुशी के इस पैमाने पर हम लगातार नीचे आते जा रहे हैं। हाल में वैश्विक खुशहाली सूचकांक से पता चला है कि भारत वर्ष 2014 में एक सौ छप्पन देशों...

More »

ताकि अगली पीढ़ी को भी पानी मिले-- एम वेंकैया नायडू

ब्रिटिश कवि सैम्युअल टेलर कॉलरिज की कविता द राइम ऑफ द एनसिएंट मरीनर में एक पंक्ति है वाटर, वाटर एव्रीवेयर, नॉर एनी ड्रॉप टु ड्रिंक यानी पानी तो हर जगह है, पर एक बूंद भी पीने के काबिल नहीं। करीब दो सदी पहले इन शब्दों को रचते हुए सैम्युअल क्या आने वाले वर्षों की भविष्यवाणी कर रहे थे? क्या वह जाने-अनजाने उस जल संकट का कयास लगा रहे...

More »

जब डूबने लगेंगे तटीय शहर-- अरविन्द कुमार सिंह

जलवायु संकट की वजह से पिघलती बर्फ के कारण समुद्र का जल-स्तर इस सदी के अंत यानी वर्ष 2100 तक वैज्ञानिकों के पूर्वानुमान से दोगुने से भी ऊपर निकल जाएगा। यह चौंकाने वाली बात अमेरिका के कोलाराडो विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने ‘प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज' में प्रकाशित शोध में कही है। वैज्ञानिकों ने वर्ष 2100 तक समुद्र का जल-स्तर तीस सेंटीमीटर बढ़ने का अनुमान लगाया था। लेकिन...

More »

यूनेस्को ने जताई आशंका, खत्म हो जाएंगी सात भाषाएं

दुनिया में बोली जाने वाली असंख्य भाषाओं में से सात ऐसी भाषाएं हैं जो खत्म होने के कगार पर पहुंच गई हैं। इनमें एक ऐसी भाषा भी है, जिसमें बेचने और खरीदने के लिए कोई शब्द ही नहीं है। संयुक्त राष्ट्र की ओर से किए गए अध्ययन में आशंका जताई गई है कि कई ऐसी भाषाएं हैं, जिनका अस्तित्व अप्रत्याशित रूप से संकट में है। एक अनुमान के मुताबिक ईसा...

More »

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close