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प्रगतिशील किसान सेठपाल सिंह को मिलेगा पद्मश्री पुरस्कार, बीएससी के बाद खेती शुरु करने वाले किसान की कहानी

-गांव कनेक्शन, सेठपाल सिंह का खेत किसी प्रयोगशाला से कम नहीं, अपने 15 हेक्टेयर खेत में वो धान, गेहूं, गन्ना जैसी फसलों के साथ ही लौकी, मिर्च, गोभी, मिर्च जैसी सब्जियों की खेती भी करते हैं। यही नहीं वो खेत में सिंघाड़े की भी खेती करते हैं, पिछले कुछ साल में उन्होंने कमल की भी खेती शुरू की है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के ज्यादातर किसान गन्ने की खेती ही करते हैं,...

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बुंदेलखंड में कुपोषण की समस्या पर नीति निर्माताओं को जरूर ध्यान देना चाहिए!

हाल की मीडिया रिपोर्ट्स यह बताती हैं कि आगामी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र को लगभग रु. 6,300 करोड़ की परियोजनाओं की घोषणाएं की गई हैं, जिनमें झांसी में टैंक रोधी मिसाइलों के प्रणोदन प्रणाली के लिए 400 करोड़ रुपये का संयंत्र भी शामिल है. 18 नवंबर, 2021 को झांसी नोड (उत्तर प्रदेश रक्षा औद्योगिक गलियारे से संबंधित) में पहली परियोजना के लिए नींव...

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भारत में वनों की स्थिति पर भारतीय वन सर्वेक्षण की 2021 की रिपोर्ट: आंकड़ों पर एक नज़र

-न्यूजक्लिक, बीते रोज़ यानी 13 जनवरी 2021 को भारत सरकार के वन पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने भारतीय वन सर्वेक्षण की भारत में वनों की स्थिति पर सन 2021 की रिपोर्ट जारी की है। यह रिपोर्ट द्विवार्षिक होती है जिसे भारतीय वन सर्वेक्षण, देहरादून तैयार करता है। देश में वनों की स्थिति के बारे में रिपोर्ट तैयार करने का चलन सन 1987 से शुरू हुआ था। इस लिहाज से 2021 में जारी हुई यह रिपोर्ट...

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रिकवरी बढ़ने से चीनी मिलों को सालाना 3000 करोड़ अतिरिक्त फायदा हुआ, जबकि किसानों के लिए गन्ने का एसएपी था फ्रीज

-रूरल वॉइस, उत्तर प्रदेश में 2018-19 से 2020-21 तक तीन पेराई सत्र में चीनी मिलों को गन्ने में एक से दो फीसदी अतिरिक्त रिकवरी से हजारों करोड़ रुपये का फायदा मिला है। एक सीजन में एक फीसदी अतिरिक्त रिकवरी से ही चीनी मिलों का अतिरिक्त फायदा 3,000 करोड़ रुपये बनता है। इन तीन वर्षों में मुख्य मंत्री  योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने  गन्ने का राज्य परामर्श मूल्य (एसएपी)...

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मिलेट से होगा बच्चों का बेहतर विकास, कई लाइफस्टाइल बीमारियां रोकने में भी यह सक्षम

-रूरल वॉइस, मिलेट बच्चों और किशोरों के लिए नया स्मार्ट फूड बन सकता है। एक अध्ययन में पता चला है कि बच्चों और किशोरों के नियमित भोजन में चावल की जगह अगर मिलेट का इस्तेमाल किया जाए तो उनका विकास 26 से 39 फ़ीसदी ज्यादा होता है। इस अध्ययन के नतीजे बताते हैं कि मिलेट (ज्वार, बाजरा, रागी, कोदो जैसे मोटे अनाज) कुपोषण को दूर करने में भी काफी मददगार हो...

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