पटना ग्रामीण इलाकों में होने वाली हिंसा की अधिकांश घटनाओं के मूल में भूमि संबंधी विवाद रहे हैं। शहरी इलाके भी इससे प्रभावित हैं। इस परेशानी को दूर करने के लिए सरकार ने ठोस पहल करते हुए प्रासंगिक कानून में संशोधन करते हुए भूमि विवाद निराकरण अधिनियम बनाकर इससे संबंधित नियमावली भी बना ली है। इसे एक अप्रैल के प्रभाव से लागू कर दिया गया है। दरअसल भूमि विवाद को लेकर एक आम धारणा है कि...
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कब चमकेगी आदिवासियों की किस्मत!
नई दिल्ली [भारत डोगरा]। भारतीय संविधान ने आदिवासी समुदायों की विशेष आवश्यकताओं के प्रति संवेदनशीलता का परिचय दिया और संविधान की इस भावना के अनुकूल हमारे देश में आदिवासी हितों की रक्षा के अनेक कानून भी बनाए गए, लेकिन इसके बावजूद जमीनी स्तर की वास्तविकता यह रही कि आदिवासियों को कई तरह का अन्याय सहना पड़ा। बड़े पैमाने पर वे जमीन से वंचित हुए व उनकी वन-आधारित आजीविका भी अधिकाश स्थानों पर तेजी से कम होती...
More »ग्राम अदालतों का गठन जल्द करें राज्य
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। आम आदमी को त्वरित न्याय मुहैया कराने के लिए प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह ने राज्य सरकारों से जल्दी से जल्दी ग्राम अदालतें स्थापित करने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ग्राम न्यायालय अधिनियम पारित कर चुकी है। अगर राज्य सरकारें इसे अमल में लाएं तो पूरे देश में पंचायत स्तर पर 5000 से ज्यादा अदालतें पूरी तस्वीर बदल सकेंगी। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भी अदालतों में ढाई करोड़ मुकदमे...
More »क्या हम नाजी जर्मनी में रह रहे हैं: कोर्ट
मुंबई। महिलाओं के बारों में रात 9:30 बजे के बाद काम करने पर पाबंदी संबंधी एक कानून के औचित्य पर सवाल उठाते हुए बंबई हाईकोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि यह कैसा कानून है? क्या हम नाजी जर्मनी में रह रहे हैं? बंबई दुकान एवं प्रतिष्ठान कानून 1948 को महिला संगठनों और होटल एवं रेस्तरां ऐसोसिएशन [आईएचएआर] ने चुनौती देते हुए इसे भेदभावपूर्ण बताया था। याचिका में कहा गया था कि पांच तारा होटलों...
More »अपीलों के बोझ से दब जाएगा सुप्रीम कोर्ट
नई दिल्ली। देश में निचली अदालतों से लेकर सर्वोच्च न्यायालय तक लंबित मुकदमों के बढ़ते अंबार से हर तरफ चिंता है। हालात कितने गंभीर हैं इसका अंदाजा खुद सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी से लगाया जा सकता है। विशेष अनुमति याचिकाओं की बढ़ती संख्या पर सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि अगर इसी तरह हर याचिकाओं को स्वीकार किया जाता रहा तो एक दिन खुद सुप्रीम कोर्ट इनके बोझ से दब जाएगा।...
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