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सूखे बुंदेलखंड में जल संरक्षण की मिसाल है जखनी गांव

-वाटर पोर्टल, भारत में जब भी जल संकट की बात होती है, तो उत्तरप्रदेश के बुंदेलखंड़ का जिक्र जरूर होता है। यहां पाताल में जाता भूजल, मुंह चिढ़ाते सूखे कुएं-तालाब और दम तोड़ती नदियों के कारण बुंदेलखंड़ में किसान होना अभिशाप हो गया है। पानी की कमी के चलते किसानों को नुकसान उठाना पड़ता है। पानी का संकट, खेती में नुकसान और रोजगार का अभाव युवाओं को पलायन के लिए मजबूर...

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भारत में औसत से 50% तक कम कमाते हैं घर से काम करने वाले कामगार: आईएलओ

-डाउन टू अर्थ, हाल ही में आईएलओ द्वारा प्रकाशित नई रिपोर्ट 'वर्किंग फ्रॉम होम: फ्रॉम इनविसिबिलिटी टू डीसेंट वर्क' से पता चला है कि भारत में घर से काम करने वाले कामगार औसत से 50 फीसदी तक कम कमाते हैं। इसी तरह अर्जेंटीना और मेक्सिको में भी घर से काम करने वालों की आय, बाहर काम करने वालों की तुलना में 50 फीसदी तक कम होती है। वहीं, दक्षिण अफ्रीका में 25...

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बावडी: कुछ अनछुए पहलू

-वाटर पोर्टल, सदियों से बावड़ी हमारी सनातन जल प्रदाय व्यवस्था का अभिन्न अंग रही है। अलग-अलग इलाकों में बावड़ियों को अलग-अलग नामों यथा सीढ़ीदार कुआं या वाउली या बाव इत्यादि के नाम से पुकारा जाता है। अंग्रेजी भाषा में उसे स्टेप-वैल कहा जाता है। इस संरचना में पानी का स्रोत भूजल होता है। भारत में इस संरचना का विकास, सबसे पहले, देश के पानी की कमी वाले पश्चिमी हिस्से में हुआ।...

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कोविशील्ड के परीक्षण के दौरान स्वयंसेवकों में उपजी बीमारी से भारतीय नियमन पर उठते सवाल

-द कारवां, अक्टूबर 2020 में चेन्नई में एक 40 वर्षीय व्यक्ति जिन्होंने कोविशील्ड वैक्सीन के लिए नैदानिक ​​परीक्षण में भाग लिया था, अचानक बीमार पड़ गए. इस कोविड-19 वैक्सीन को सीरम इंस्टीट्यूट आफ इंडिया ने स्वीडिश-अमेरिकी कंपनी ऐस्ट्राजनेका और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के साथ मिलकर तैयार किया है. डॉक्टर ने उन्हें बताया कि उन्हें एंसेफैलोपैथी है, जो मस्तिष्क संबंधी तंत्रिका का विकार है. चार दिनों तक वह कभी होश में आते और...

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‘उन सबको मार दिया गया है’– कोविड के बाद पोल्ट्री किसानों के लिए एक और विपदा लाया बर्ड फ्लू

-द प्रिंट, सुधीर कुमार को पोल्ट्री फार्म व्यवसाय में सिर्फ ढाई साल हुए हैं, लेकिन उन्हें ऐसा लगता है, जैसे सारी ज़िंदगी इसी में गुज़र गई है. बीते साल में, महामारी और उसके बाद लॉकडाउन्स ने, उनके कारोबार को अकल्पनीय नुक़सान पहुंचाया है. फार्म की कुल 50,000 मुर्ग़ियों में से आधी को, उन्हें खुद से मार देना पड़ा. कुमार ने दिप्रिंट को बताया, ‘हमने ज़मीन खोदी और उन्हें ज़बर्दस्ती दफ्न कर दिया....

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