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अपनी भाषाओं का विस्थापन-मृणालिनी शर्मा

जनसत्ता 12 मार्च, 2013: आखिर संघ लोक सेवा आयोग पर अंग्रेजी का झंडा फहर ही गया। 2013 में संघ की भारतीय प्रशासनिक और अन्य केंद्रीय सेवाओं में भर्ती के लिए सिविल सेवा परीक्षा के रूप में होने वाली संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा से भारतीय भाषाओं का परचा आखिर गायब हो गया। यों इसकी शुरुआत 2011 में ही प्रारंभिक परीक्षा (नया नाम: अभिक्षमता परीक्षण उर्फ एप्टिट्यूट टेस्ट) में कर दी...

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अर्थव्यवस्था का जायजा लेंगे विश्व बैंक प्रमुख

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। धीमी रफ्तार से बाहर निकलने की कोशिश कर रही अर्थव्यवस्था का जायजा लेने विश्व बैंक के अध्यक्ष जिम योंग किम सोमवार से तीन दिन की यात्रा पर भारत आ रहे हैं। उनके एजेंडे में सरकार की आर्थिक नीतियों के परिणामों का आकलन करने के साथ साथ विकास की दिशा में विश्व बैंक के लिए यहां संभावनाएं तलाशना है। पिछले साल जुलाई में विश्व बैंक के प्रमुख का पद संभालने वाले...

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ईधन सब्सिडी से गरीबों को नहीं अमीरों को मिल रहा फायदा

वाशिंगटन। भारत में ईधन पर दी जा रही भारी भरकम सब्सिडी गरीबों के बजाय अमीरों को फायदा पहुंचा रही है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष [आइएमएफ] ने यह राय जताई है। संगठन का कहना है कि इसकी वजह से सरकार के खर्च में बहुत ज्यादा बढ़ोतरी हो रही है। सब्सिडी भले ही गरीबों को फायदा पहुंचाने के लिए दी जा रही है मगर हकीकत में ऐसा हो नहीं रहा है। मुद्रा कोष...

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यूपीए राज में गरीबी कम हुईः पीएम

राष्ट्रपति के अभिभाषण पर लोकसभा में प्रधानमंत्री ने जवाब देते हुए कहा कि हम आर्थिक सुधार की कोशिश कर रहे हैं .भारत में निवेश बढ़ाने की जरूरत है और रोजगार के अवसर भी पैदा करने होगें. विकास दर का हमारा लक्ष्य 8 प्रतिशत है पर 2012 में विकास दर धीमी रही है. इसके बाद भी अन्य देशों की तुलना में हमारा विकास दर काफी अच्छा है. मंदी के बावजूद दूसरे देशों से...

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क्या विरोध का ढंग बदल सकता है- गिरिराज किशोर

जनसत्ता 5 मार्च, 2013: इक्कीस-बाईस फरवरी का भारत-बंद लगभग सफल हुआ। उसके लिए श्रमिक संगठनों को बधाई। लेकिन इस महाबंद ने मन में कई सवाल उठा दिए। बंद होते रहते हैं। दो मुख्य तर्क इनके पीछे हैं। एक, मजदूरों या कर्मचारियों के अधिकारों की रक्षा, और दूसरा, अपने अधिकारों की शांतिपूर्ण और सामूहिक अभिव्यक्ति। दोनों बातें अपनी जगह सही हैं। मजदूर के अधिकार का संरक्षण होना जरूरी है। लेकिन असंगठित मजदूर...

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