नियम यह है विधाता का / सभी आकर चले जाते / मगर कुछ लोग ऐसे हैं / जो जाकर भी नहीं जाते। न सब धनवान होते हैं / न सब भगवान होते हैं/ दयालु, लोकप्रिय, सतपाल / भले इनसान होते हैं।। ... और ऐसा कोई इनसान जब वक्त के पन्नों पर अपनी अमिट छाप छोड़ कर हमारे बीच से विदा होता है, तो यह हम सबका साझा फर्ज बनता...
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आबादी का दबाव बढ़ा रहा है रेगिस्तान-- पंकज चतुर्वेदी
एक तरफ परिवेश में कार्बन की मात्रा बढ़ रही है, तो दूसरी ओर ओजोन परत में हुए छेद का विस्तार हो रहा है। इससे उपजे पर्यावरणीय संकट का कुप्रभाव कई तरह से सामने आ रहा है। संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम यानी यूनेप की रिपोर्ट कहती है कि दुनिया भर के करीब 100 देशों में उपजाऊ या हरियाली वाली जमीन रेत से ढक रही है और इसका असर लगभग एक...
More »असल मुद्दों से डगमगाते रहे पूरे साल - मृणाल पांडे
साल 2015 विदा हो रहा है। इस साल भी हमारे नेता, अभिनेता, प्रतिपक्ष और समाज के पुरोधा असली मुद्दों पर कम, प्रतीकों के गिर्द ही अपनी नीतियां और रणनीतियां गढ़ते, झगड़ते रहे। ध्यान का केंद्र चाहे असेंबली चुनाव हों, या महिला सुरक्षा, बिगड़ते पर्यावरण से जुडे बाढ़-सुखाड़ हों अथवा सार्वजनिक परिवहन या विदेश नीति, जिस तरह उन पर संसद के भीतर-बाहर और टीवी पर्दों पर टकराव हुए, तलवारें चलीं, लगा...
More »उत्तर प्रदेश में भुखमरी का जिम्मेदार कौन?-- ज्यां द्रेज
बुंदेलखंड, या कहें कि यूपी वाले बुंदेलखंड से आ रही खबरें बहुत डरावनी हैं. योगेंद्र यादव के नेतृत्व में स्वराज अभियान के तहत कराए गए एक रैपिड सर्वे के साक्ष्य कहते हैं कि इलाका अकाल की दशा की तरफ बढ़ रहा है. मसलन, सर्वेक्षण में नमूने के तौर पर चुने गए 38 प्रतिशत गांवों में बीते आठ महीने में भुखमरी या कुपोषण से एक ना एक व्यक्ति की मौत हुई है. ग़रीब...
More »धर्म, समाज और स्त्री-- सुभाष गताडे
परंपरा की दुहाई देते हुए या आस्था की बात करते हुए क्या समाज के एक हिस्से के साथ प्रगट भेदभाव किया जा सकता है? यह मसला महिलाओं के प्रार्थना-स्थल तक या उसके सबसे ‘पवित्र हिस्से' तक पहुंचने के बहाने उठता रहा है। अभी ज्यादा दिन नहीं बीते, जब महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले का शनि शिंगनापुर मंदिर हंगामे की वजह बना। पुणे के एक सामाजिक संगठन की महिलाओं ने वहां पहुंच...
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