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हिमालय की पीर -- जयसिंह रावत

हिमालय आकार में जितना विराट है, अपनी विशेषताओं के कारण उतना ही अद्भुत भी। कल्पना करें कि अगर हिमालय न होता तो दुनिया और खासकर एशिया का राजनीतिक भूगोल क्या होता? एशिया का ऋतुचक्र क्या होता? किस तरह की जनसांख्यकी होती और किस तरह के शासनतंत्रों में बंधे कितने देश होते? विश्वविजय के जुनून में दुनिया के आक्रांता भारत को किस कदर रौंदते? न गंगा होती, न सिंधु होती और...

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सरकारी स्कूलों में उपस्थिति के दौरान 'यस सर' की बजाए बोलेंगे 'जय हिन्द'

सतना। प्रदेश के सभी सरकारी स्कूलों में अब होने वाली छात्र उपस्थिति का स्वरूप बदलेगा। अब बच्चे उपस्थिति के समय यस सर की बजाए जय हिन्द बोलते नजर आएंगे। यह व्यवस्था 1 अक्टूबर से सतना जिले में लागू होगी। इसके ठी एक माह बाद 1 नवंबर से यह व्यवस्था पूरे प्रदेश में लागू हो जाएगी। यह घोषणा अपने एक दिवसीय प्रवास के दौरान चित्रकूट से मंगलवार को वापस सतना पहुंचे प्रदेश...

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नदियों को जोड़ने में चुनौतियां कम नहीं - मृणाल पांडे

भारत एक नदी मातृक देश है। यहां की तमाम बड़ी-छोटी नदियों ने ही अपने तटों पर यहां हजारों बरसों से नाना सभ्यताओं और परंपराओं को उपजाया व सींचा है। बचपन से ही हर बच्चा सप्त-महानदियों का गुणगान सुनता है, जब-जब कोई जन किसी भी देवप्रतिमा का पवित्र जल से अभिषेक करे। 'गंगेयमुनेश्चैवगोदावरिसिंधुकावेरी जलेऽअस्मिन्सन्न्धिं कुरु के परिचित मंत्र में हर पात्र के जल में सात बड़ी नदियों - गंगा, यमुना, गोदावरी,...

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हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी सालभर से खाली हैं शीर्ष संवैधानिक संस्थाएं

धनंजय प्रताप सिंह, भोपाल। प्रदेश की कई संवैधानिक संस्थाएं लंबे समय से प्रभारियों के भरोसे चल रही हैं। हाईकोर्ट ने भी कई बार सरकार को लोकायुक्त संगठन और मानवाधिकार आयोग जैसी संस्थाओं में पूर्णकालिक मुखिया की नियुक्ति करने के निर्देश दिए, लेकिन सरकार ने कोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया। प्रदेश का शीर्ष संवैधानिक राज्यपाल का पद भी बीते एक साल से खाली है। लोकायुक्त का पद खाली सरकार का दावा...

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पूरा गांव लाठी और कुल्हाड़ी से मगरमच्छ भगाकर नदी से भरता है पानी

देवेन्द्र कुमार गौड़, सोईंकलां। रोज सुबह 8 बजे के करीब पूरा गांव खाली बर्तनों के साथ कुल्हाड़ी और लाठियां लेकर पार्वती नदी के किनारे इकट्ठा होता है। इसके बाद कुल्हाड़ी, लाठी या अन्य नुकीले हथियारों से नदी किनारे पानी में हलचल मचाना शुरू करते हैं। जब मगरमच्छ-घड़ियाल भाग जाते हैं तब एक-एक करके खाली बर्तनों को नदी से भरते हैं। पीने के पानी के लिए यह जद्दोजहद श्योपुर तहसील के...

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