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आज नकद कल रियायत- शिरीष खरे की रिपोर्ट( तहलका हिन्दी)

राजस्थान में अलवर जिले के कोटकासिम ब्लॉक का यह ओजली गांव है. यहां ग्राम सेवा सहकारी समिति की उचित मूल्य की दुकान पर तीन महीने पहले तक केरोसिन के लिए उपभोक्ताओं की भीड़ जमा हो जाती थी. पर अब उसी केरोसिन के नाम पर चारों ओर सन्नाटा पसर जाता है. दुकान के कर्मचारी महावीर यादव के मुताबिक इस सन्नाटे की वजह यह है कि जिला कलेक्टर के निर्देश पर केरोसिन...

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अब हिंदी या मराठी में नहीं पढ़ पाएंगे नौनिहाल!

नागपुर. कॉन्वेंट व निजी स्कूलों से प्रतिस्पर्धा में पिछड़ रही मनपा स्कूलों ने भी अब इन्हें टक्कर देने का निर्णय लिया है। आगामी शैक्षणिक सत्र से मनपा पहली कक्षा से अंग्रेजी माध्यम आरंभ करने जा रही है।   मराठी व हिंदी माध्यम अब नहीं होंगे। अंग्रेजी माध्यम शुरू होने के बाद पाठ्यक्रम में मातृभाषा (मराठी-हिंदी) का सिर्फ एक विषय रहेगा। शेष सभी विषय अंग्रेजी में होंगे।   प्रतिस्पर्धा के चलते शहर में महानगरपालिका...

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फैक्ट्री की इमारत ढहने से गईं 10 जानें, 100 से अधिक अभी भी दबे

जालंधर. रविवार देर रात ध्वस्त हुई शीतल फाइबर में 10 श्रमिकों की मौत हुई है। बचाव दल ने सोमवार रात तक मलबे से 3 शव निकाले जबकि 6 शवों को निकालने की कोशिश जारी थी। एक घायल ने अस्पताल में दम तोड़ा। मलबे से अभी तक 58 लोगों को जिंदा निकाला गया है पर अभी भी 100 से ज्यादा लोगों के फंसे होने आशंका है। फैक्ट्री के मालिक शीतल विज को...

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तरसती रही जनता, सड़कों पर बहा दी दूध की नदी

इंदौर। केंद्रीय खाद्य सुरक्षा व मानक अधिनियम के विरोध में घोषित तीन दिन के बंद के पहले दिन इंदौर सहित मालवा-निमाड़ में आम जनता दूध को तरस गई, जबकि व्यापारियों ने हजारों लीटर दूध सड़कों पर बहा दिया।   प्रशासन व पुलिस की सख्ती का दावा बेअसर नजर आया। किराना व अन्य खाद्य पदार्थो के लिए भी लोग परेशान होते रहे। चाय-नाश्ता तक नहीं मिला। कई स्थानों पर छिटपुट घटनाएं भी हुई।   इंदौर में सांची...

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मिट्टी हमारा साथ छोड़ रही है -अनिल जोशी

जीवन के मूल संसाधनों को लेकर कही गई पुरानी कहावतें आज के परिप्रेक्ष्य में ज्यादा सही लगती हैं। मिट्टी भी उनमें से एक है। माटी कहे कुम्हार से, तू क्या रोंदें मोय, इक दिन ऐसा आएगा मैं रौंदूगी तोय। यह दोहा आज सटीक बैठ रहा है। मिट्टी के मोल अब पुराने नहीं रहे। यह भी अन्य प्राकृतिक संसाधनों की तरह विलुप्त होती जा रही है। यह संकट बड़ा है, क्योंकि...

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