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किसान आंदोलन: सिंघु बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसानों को नये साल से क्या उम्मीदें हैं?

-बीबीसी,  मोदी सरकार के नये कृषि क़ानूनों की मुख़ालफ़त कर रहे हरियाणा-पंजाब के किसानों को नये साल से बहुत उम्मीदें हैं. किसानों को प्रदर्शन करते हुए महीना भर से अधिक हो चुका है, केंद्र सरकार से जारी बातचीत में उन्हें अब तक कोई बड़ी सफलता हाथ नहीं लगी है, पर उन्हें विश्वास है कि जीत उन्हीं की होगी. किसानों की प्रमुख माँग अब यह है कि 'सरकार उन्हें बताये कि वो तीनों कृषि...

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सूचना की महामारी, फैक्‍ट-चेक का हैंडवॉश और सत्‍य का लॉकडाउन

-न्यूजलॉन्ड्री, कुछ दिन पहले एक पत्रकार साथी का फोन आया था. वे दिल्‍ली के एक ऐसे शख्‍स की खोज खबर लेने को उत्‍सुक थे जिसे ज्‍यादातर अखबारों और टीवी चैनलों ने 9 अप्रैल, 2020 को मृत घोषित कर दिया था. मरे हुए आदमी को खोजना फिर भी आसान होता है, लेकिन ये काम थोड़ा टेढ़ा था. मित्र के मुताबिक व‍ह व्‍यक्ति जिंदा था. कुछ अखबारों और चैनलों के मुताबिक वह मर...

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सूखे बुंदेलखंड़ में जल संरक्षण की मिसाल है जखनी गांव

-इंडिया वाटर पोर्टल, भारत में जब भी जल संकट की बात होती है, तो उत्तरप्रदेश के बुंदेलखंड़ का जिक्र जरूर होता है। यहां पाताल में जाता भूजल, मुंह चिढ़ाते सूखे कुएं-तालाब और दम तोड़ती नदियों के कारण बुंदेलखंड़ में किसान होना अभिशाप हो गया है। पानी की कमी के चलते किसानों को नुकसान उठाना पड़ता है। पानी का संकट, खेती में नुकसान और रोजगार का अभाव युवाओं को पलायन के लिए...

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2020: व्यक्ति ने ख़ुद को साबित किया, संस्थाओं ने घुटने टेक दिए!

-सत्यहिंदी, 2020 का सूर्य अस्ताचलगामी है। इस साल को कैसे याद करेंगे? वर्ष भारत के लिए आरंभ हुआ था उम्मीद की काँपती हुई लौ की गरमाहट के साथ और विदा ले रहा है फिर से आशा के दीप की ऊष्मा देते हुए। 2019 की समाप्ति में जनतान्त्रिक संभावना की एक रेख आसमान में फूटी थी, जल्दी ही वह मिटा दी गई और पूरे साल उसके खो जाने की चुभन बनी रही...

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नाराज किसान: मजबूत किसान मोर्चेबंदी

-आउटलुक, “नए केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की चौहद्दी और देश भर में मोर्चे पर डटे किसानों के पक्ष में बढ़ता जन समर्थन” शुरुआत में ट्रैक्टरों का एक छोटा काफिला एनएच 44 पर दिल्ली की ओर बस कुछ नारों और फौलादी इरादों के साथ बढ़ा चला आ रहा था। सामान्य हालात में उनका विरोध प्रदर्शन भी बाकी सेक्टरों जैसा ही मान लिया जाता, जिसकी देश में धारा शायद ही कभी टूटती...

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