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कृषि, औषधि व फल आधारित कारखाने लगाएं उद्योगपति

जागरण ब्यूरो, शिमला : मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने उद्योगपतियों से कहा कि हिमाचल में ऐसे उद्योगों की स्थापना को प्राथमिकता दें जो आम आदमी के हित में हों। उन्होंने कहा कि यहां कृषि, औषधि, फल एवं अन्य स्थानीय उत्पादों पर आधारित उद्योग स्थापित करने चाहिए, ताकि प्रदेश के लोगों को उनका लाभ हो। मुख्यमंत्री भारतीय उद्योग संघ के वार्षिक अधिवेशन के अवसर पर 'हिमाचल प्रदेश : ड्राइवर्स ऑफ ग्रॉथ' विषय पर आयोजित सम्मेलन को संबोधित...

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डाइक्लोफ़ेनाक दवा पर प्रतिबंध

नयी दिल्ली : मवेशियों को डाइक्लोफ़ेनाक नामक दर्द निवारक दवा खिलाने के कारण गिद्धों की संख्या में हो रही कमी के मद्देनजर सरकार ने इस दवा के इस्तेमाल पर रोक लगा दी है. स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री दिनेश त्रिवेदी ने आज लोकसभा में एक लिखित सवाल के जवाब में बताया कि कई अध्ययनों से पता चला है कि डाइक्लोफ़ेनाक का इस्तेमाल गिद्धों की संख्या में आ रही कमी का प्रमुख कारण है. डाइक्लोफ़ेनाम दवा...

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आखिर इन दुकानों की दवा क्या है!

लखनऊ, [आशीष मिश्र]। नाका हिंडोला चौराहे पर एक दवा की दुकान है। इसके पास बकायदा ड्रग लाइसेंस है। हैरत की बात यह है कि इस मेडिकल स्टोर में आपको दवा ही नहीं टीवी, डीवीडी-वीसीडी प्लेयर से लेकर नई व पुरानी फिल्मों की डीवीडी तक मिल जाएगी। दुकान के मालिक का कहना है कि बिक्री कम होने पर दवा के साथ डीवीडी, टीवी का काम भी शुरू कर दिया। सरकारी निगरानी तंत्र किस कदर चरमराया...

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परंपरागत ज्ञान संरक्षण पर भारत को सराहा

संयुक्त राष्ट्र। संयुक्त राष्ट्र के एक शीर्ष अधिकारी ने परंपरागत ज्ञान के संरक्षण के लिए भारत की भूमिका की सराहना करते हुए कहा है कि विभिन्न भाषाओं में देश का हजारों फार्मूलों का डेटाबेस विकासशील दुनिया के लिए एक उदाहरण है। यूनाइटेड नेशन्स व‌र्ल्ड इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी ऑर्गनाइजेशन [डब्ल्यूआईपीओ] के निदेशक फ्रांसिस गरी ने हाल ही में भारत का पांच दिवसीय दौरा संपन्न किया है। उन्होंने कहा कि डब्ल्यूआईपीओ की इंटरगवमर्ेंटल...

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सवाल सेहत का

   खास बात •    सिर्फ 10 फीसदी भारतीयों के पास हेल्थ इंश्योरेन्स है और यह बीमा भी उनकी सेहत की जरुरतों के हिसाब से पर्याप्त नहीं है। *** •    अस्पताल में भर्ती भारतीय को अपनी सालाना आमदनी का 58 फीसदी इस मद में व्यय करना पड़ता है।*** •    तकरीबन 25 फीसदी भारतीय सिर्फ अस्पताली खर्चे के कारण गरीबी रेखा से नीचे हैं। *** •    सेहत के मद में होने वाले खर्चे का सवाल बड़ा चिन्ताजनक है। सालाना 10 करोड़ लोग...

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