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मानव-वन्यजीव संघर्ष: बढ़ते संघर्ष की भारी कीमत चुका रहे हैं भारत जैसे देश

डाउन टू अर्थ, 01 मार्च क्या आप जानते हैं कि भारत, केन्या और यूगांडा जैसे विकासशील देश, विकसित देशों की तुलना में इंसानों और वन्यजीवों के बीच होते संघर्ष की कहीं ज्यादा भारी कीमत चुका रहे हैं। आर्थिक रूप से कमजोर क्षेत्रों को देखें तो वहां एक गाय या बैल को इस मानव-वन्यजीव संघर्ष में खोने का मतलब है कि किसान ने अपने बच्चे की करीब 18 महीने की कैलोरी को...

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जलवायु परिवर्तन का पहला शिकार हो रहे हैं किसान

डाउन टू अर्थ, 28 फरवरी अब यह बात किसी से छिपी नहीं है कि चरम अथवा अप्रत्याशित मौसमी घटनाओं से किसानों की आय को नुकसान पहुंचता है। जलवायु परिवर्तन से होने वाली इस आर्थिक क्षति को व्यापक स्वीकार्यता मिल चुकी है। किसान ही जलवायु परिवर्तन को सबसे पहले महसूस करता है जो अंतत: समग्र किसी उत्पादन को प्रभावित करता है और खाद्य मुद्रास्फीति को बढ़ाने में योगदान देता है। खाद्य पदार्थों की...

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जलवायु परिवर्तन से जूझने के लिए कैसे तैयार हो रहे हैं मध्य प्रदेश के ये गांव

मोंगाबे हिंदी, 28 फरवरी मध्यप्रदेश के सतना जिले में धतूरा गांव के किसान देवशरण पटेल (53) कंधे पर बैट्री से चलने वाली कीटनाशक छिड़कने की मशीन लादे खेतों की ओर जा रहे हैं। कुछ दूरी मोटरसाइकिल से तय करने के बाद उन्होंने पगडंडियों पर पैदल चलना शुरु किया। वह पहले खेत जाकर कीटनाशक बनाने का इंतजाम करेंगे फिर इसका छिड़काव करेंगे। आमतौर पर किसान बाजार से कीटनाशक खरीदकर लाते हैं लेकिन पटेल...

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मोदी सरकार द्वारा धीरे-धीरे मनरेगा का गला घोंटने का काम किया जा रहा है

द वायर, 26 फरवरी  केंद्र की भाजपा नेतृत्व वाली मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के आवंटन में सबसे भारी कटौती मौजूदा बजट में की गई है. इस मद में सिर्फ 60,000 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है, जो कि अब तक की सबसे कम राशि है. इसके अलावा मनरेगा के तहत ऐप आधारित हाजिरी दर्ज करने की प्रणाली – नेशनल मोबाइल मॉनिटरिंग...

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मौसम की मार से फसल बर्बाद होने के बावजूद मुआवजे से वंचित भूमिहीन किसान

मोंगाबे हिंदी, 24 फरवरी उत्तर प्रदेश में सीतापुर जिले के तुरकौली गांव में रहने वाले 64 वर्षीय किसान राम सागर की अक्टूबर 2022 में भारी और बेमौसम बारिश के कारण साढ़े तीन एकड़ धान की फसल बर्बाद हो गई थी। इसी गांव में रहने वाले 42 साल के जाबिर अली का हाल भी कुछ ऐसा ही था। उनके एक एकड़ जमीन पर लगा धान बारिश की वजह से पूरी तरह खराब...

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