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खास बात   साल 2001 की जनगणना के अनुसार भारत में कुल श्रमशक्ति की तादाद 40 करोड़ है जिसमें 68.37 फीसद पुरुष और 31.63 फीसद महिला कामगार हैं। @ तकरीबन 75.38%  फीसद महिला श्रमशक्ति खेती में लगी है। @ एफएओ के आकलन के मुताबिक विश्वस्तर पर होने वाले कुल खाद्यान्न उत्पादन का 50 फीसद महिलायें उपजाती हैं। # साल 1991 की जनगणना के अनुसार 1981 से 1991 तक पुरुष खेतिहरों की संख्या में 11.67 फीसदी की बढोतरी...

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आठ साल में सूखे रेगिस्तान में बना दिया मिनी फूड पार्क, अब यूएस और जर्मनी जैसे देशों तक भेजते हैं फल

गाँव कनेक्शन, 11 जुलाई आठ साल पहले तक अशोक जांगू बीमा कंपनी में एजेंट का काम करते थे, लेकिन उन्हें हमेशा से खेती के लिए कुछ करना था। बस वहीं से उनकी शुरूआत हुई अब तो अब तो जांगू के खेत से अनार यूएस व जर्मनी तक जा रहे हैं। गाय का घी भी विदेशों तक जा रहा है। जहां दूर-दूर तक मीठा पानी नहीं। सूने पड़े खेत। पलायन की मजबूरी, मजदूरी...

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71 फीसदी भारतीय हेल्दी डाइट लेने में असमर्थ, भारत अन्य एशियाई देशों की तुलना में अफ्रीका के करीब – UN

दिप्रिंट, 8जुलाई संयुक्त राष्ट्र खाद्य और कृषि संगठन की तरफ से बुधवार को जारी रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में 307 करोड़ लोगों में से लगभग एक तिहाई लोग पौष्टिक आहार का खर्च उठा पाने में सक्षम नहीं हैं नई दिल्ली: हेल्दी डाइट को लेकर की गई एक क्रॉस-कंट्री तुलना से पता चलता है कि 97 करोड़ से ज्यादा भारतीय यानी देश की आबादी का लगभग 71 प्रतिशत हिस्सा पौष्टिक खाने का खर्च...

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ग्राउंड रिपोर्ट: पिछले 122 सालों में सबसे विनाशकारी बाढ़, उत्तर-पूर्वी बांग्लादेश में बाढ़ की दूसरी लहर से 40 लाख से ज्यादा प्रभावित

गाँव कनेक्शन, 6 जुलाई बाढ़ ने एक बार फिर बांग्लादेश को प्रभावित किया है। यहां 70 लाख से ज्यादा लोगों को खाद्य आपूर्ति, आश्रय और बाढ़ राहत की तत्काल जरूरत है। देश का उत्तर-पूर्वी डेल्टा क्षेत्र, खासतौर पर सिलहट, सबसे बुरी तरह प्रभावित है। यहां रहने वाले लोगों का कहना है कि उन्हें याद नहीं कि कभी इससे पहले उन्होंने ऐसी विनाशकारी बाढ़ देखी हो। देश इस साल मई से बाढ़...

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सतत विकास लक्ष्य: साढ़े तीन दशक पीछे चल रहा है एशिया-प्रशांत, जलवायु परिवर्तन के मामले में 6 अंक पिछड़ा भारत

-डाउन टू अर्थ, जलवायु परिवर्तन, प्राकृतिक आपदाओं और कोविड-19 महामारी ने न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया पर व्यापक असर डाला है, जिसका प्रभाव सतत विकास के लक्ष्यों (एसडीजी) पर भी साफ देखा जा सकता है। इस बारे में संयुक्त राष्ट्र द्वारा जारी हालिया रिपोर्ट “एशिया एंड द पैसिफिक एसडीजी प्रोग्रेस रिपोर्ट 2022” से पता चला है कि एशिया-प्रशांत क्षेत्र अपने एसडीजी लक्ष्यों को हासिल करने के लिए तय समय सीमा यानी...

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