दुनिया की 7.1 अरब आबादी में अस्सी करोड़ यानी बारह फीसद लोग भुखमरी के शिकार हैं। बीस करोड़ भुखमरी के शिकार लोगों की संख्या के साथ भारत इसमें पहले नंबर पर है। यह हाल तब है जब दुनिया में भरपूर अनाज और अन्य खाद्य पदार्थों की पैदावार हो रही है। दुनिया भर में कहीं गृहयुद्ध तो कहीं प्राकृतिक आपदाओं के चलते लोग अपने घरों, अपने देश से दर-बदर हो रहे...
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महानंदा पर तटबंध से तबाही--- मणीन्द्र नाथ ठाकुर
हाल में प्रसिद्ध विद्वान अयाची मिश्र के गांव सरिसबपाही में मुख्यमंत्री के साथ मंच साझा करने का मौका मिला, तो नजदीक से उनको सुना. उनका कहना था कि 'हमें प्रकृति के साथ खिलवाड़ नहीं करना चाहिए; प्रकृति हमें इसकी सजा देती है.' अपने शोध के सिलसिले में कटिहार के कदवा प्रखंड में महानंदा तटबंध के अंदर कुछ गांवों में घूमते हुए बाढ़ से प्रताड़ित लोगों से मिलने का मौका मिला....
More »पहाड़ पर लौटी हरियाली-- बाबा मायाराम
मध्यप्रदेश का एक गांव है रूपापाड़ा। यहां पेड़ लगाने की चर्चा गांव-गांव फैल गई है। पहले यहां आसपास गांव के हैंडपंप सूख चुके थे लेकिन जंगल बड़ा हुआ, हरा भरा हुआ तो उनमें पानी आ गया। लोगों के पीने की पानी की समस्या हल हुई। यह झाबुआ जिले की पेटलावद विकासखंड में है। यहां के लोगों को खेती में पानी नहीं है, सूखे की खेती करते हैं,यानी वर्षा आधारित। लेकिन...
More »बिहारः बाढ़ से पहले गांव था सहरसा में, अब सुपौल में
वर्ष 2008 के बाद इस साल फिर कोसी नदी की बाढ़ ने भारी तबाही मचायी. उत्तर बिहार के सुपौल जिले में लाखों लोग बाढ़ से प्रभावित हुए हैं. इनमें सबसे मुश्किल जिंदगी है कोसी तटबंधों के बीच बसर करने वाले उन लोगों की, जिन्हें बाढ़ के समय ऊँची जगहों पर शरण लेनी पड़ती है और हर दूसरे-तीसरे साल नयी जगह बसना पड़ता है. ये लोग पानी उतरने का इंतजार करते हैं और...
More »बंजर में तब्दील होती मिट्टी -- रमेश कुमार दूबे
जिस रफ्तार से मिट्टी की उर्वरता में ह्रास हो रहा है उसे देखते हुए आने वाले वर्षों में खाद्यान्न उत्पादन का लक्ष्य हासिल हो पाएगा इसमें संदेह है। मांग के अनुरूप अन्न पैदावार में बढ़ोतरी की चुनौती तो भविष्य की बात है, कुपोषण की व्यापकता तो हमें कब का घेर चुकी है। यही कारण है कि भरपेट खाने के बावजूद कमजोरी महसूस होती है। परिवार के बुजुर्ग यह शिकायत करते...
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