हमारे देश में पहले और आज की राजनीति में कितना फर्क आ गया है। पहले देश की राजनीति एक बड़ी हद तक मूल्यों पर चलती थी। राजनीतिक दल और मतदाता दोनों ही कहीं न कहीं नैतिकता व आदर्शों का पालन कर राजनीतिक गरिमा बनाए रखते थे। लेकिन आज स्थिति पूरी तरह बदल गई है। अब राजनीतिक दल चुनावों के समय जिस तरह मतदाताओं को लुभाने के लिए लोक-लुभावन घोषणाएं करते...
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जिनके घर शौचालय, उन्हीं किसानों का गेहूं खरीदेगी सरकार
श्योपुर (मध्यप्रदेश)। जिन किसानों के घरों में शौचालय नहीं और जो खुले में शौच करने जाते हैं, ऐसे किसानों से सरकार गेहूं नहीं खरीदेगी। समर्थन मूल्य पर मध्यप्रदेश सरकार उन्हीं किसानों का गेहूं खरीदेगी जिनके घर में शौचालय होगा। समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीदी के रजिस्ट्रेशन करवाते समय ही किसान को घर में शौचालय होने का प्रमाणीकरण देना होगा, तभी उसका पंजीयन होगा। यह पूरी कवायद हर घर में शौचालय...
More »गेहूं न बिकने पर 3.41 करोड़ का नुकसान, खेमका के खिलाफ चार्जशीट
हरियाणा की भाजपा सरकार ने हरियाणा बीज विकास निगम (एचएसडीसी) को 2012-2013 में गेहूं के बिना बिके भंडार के चलते कथित तौर पर टाले जा सकने वाला वित्तीय नुकसान पहुंचाने के लिए अशोक खेमका को चार्जशीट किया है। यह कदम तब आया है जब आठ महीने पहले सरकार ने 1991 बैच के आईएएस अधिकारी के खिलाफ एक चार्जशीट को वापस ले लिया था। उक्त चार्जशीट हरियाणा की पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने...
More »60% तक फसल तबाह कर देती है नीलगाय
जंगली जानवरों में अकेले नीलगाय 20 से 60 प्रतिशत तक फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं जिससे किसानों को भारी क्षति होती है। उन्हें कोई मुआवजा भी नहीं मिलता है जबकि हाथी , जंगली सूअर , भालू , बंदर और लंगूर के कारण बागवानी और अन्य फसलों को क्षति पहुंचती है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) द्वारा जंगली जानवरों से फसलों को होने वाले नुकसान को लेकर मोटे तौर पर किये...
More »सूखी वनस्पतियों का निस्तारण-- भरत झुनझुनवाला
उत्तराखंड के जंगलों में आग का तांडव जारी है. छिटपुट वर्षा से कुछ दिनों के लिए आग बुझ जाती है, परंतु फिर जंगल जलने लगते हैं. मूल समस्या सूखी पत्तियों एवं टहनियों के निस्तारण की है. पेड़ों की पत्तियां और घास जमीन पर जमा हो जाती हैं. ऊपरी क्षेत्रों में वर्षा होती रहती है या ठंड के कारण ये पदार्थ सूखते नहीं हैं. इनकी मोटी परत जमी रहती है और...
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