क्या मनरेगा को जस का तस छोड़ा जा सकता है? मनरेगा के मामले में नागरिक-संगठन आखिर इतना हल्ला किस बात पर मचा रहे हैं? क्या ग्रामीण इलाके के सामाजिक कार्यकर्ता बहुत ज्यादा की मांग कर रहे हैं? क्या यूपीए- II वह सारा कुछ वापस लेने पर तुली है जो यूपीए- I ने चुनावों से पहले दिया था? चुनौती सामने है, मनरेगा गहरे संकट में है। अरुणा राय और ज्यां द्रेज सरीखे...
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किसान-सरकार साझेदारी का मॉडल
भू-अर्जन कानून 1894 में मामूली सा संशोधन कर ग्रामसभा की भूमि का उपयोग बदले जाने के बावजूद भारत के गांवों के किसानों एवं भूमिहीनों के वंशजों का भविष्य सुनिश्चित किया जा सकता है। इस संशोधन का नाम सक्रिय समूहों ने किसान-सरकार साझेदारी तय किया है। अगस्त में उत्तर प्रदेश के जिरकपुर हुए किसान आंदोलन के बाद विभिन्न राजनीतिक पार्टियों ने एक स्वर में भू-अर्जन कानून 1894 में संशोधन की मांग की थी। मामला...
More »प्रदेश में 32 हजार 980 लोग बेघर
रोहतक. प्रदेश में 30 हजार से अधिक परिवार ऐसे है, जिनके पास सिर ढकने के लिए छत नहीं है। सरकार ने ऐसे लोगों की सूची तैयार कर गुलाबी कार्ड बनाने का निर्णय लिया हैं ताकि उनको सस्ते दाम पर अनाज वितरित किया जाए। रोहतक में सबसे कम तथा पानीपत में सबसे अधिक परिवार बेघर की सूची में शामिल हैं। सुप्रीम कोर्ट ने जब से केंद्र सरकार को निर्देश जारी किए है...
More »भूखे रहे लोग तो स्थिति विस्फोटक
विश्व खाद्य दिवस पर विशेष भूख से लड़ने में दुनिया भर में हो रहे प्रयासों के बीच भारत की एक तस्वीर यह भी है कि गोदामों में सड़ते अनाज के बावजूद करोड़ों लोग भूखे हैं। उभरती अर्थव्यवस्था के अलावा देश की इस तस्वीर का कारण जो भी हो, विशेषज्ञों का मानना है कि इसका परिणाम देश की छवि धूमिल होने के तौर पर ही सामने आएगा। कृषि प्रधान देश भारत में लोग भूख के कारण...
More »सूचना का अधिकार बना हथियार- अशीष कुमार अंशु
कमलेश कामत अमही प्रखंड मधुबनी, बिहार के रहने वाले हैं. सूचना के अधिकार से उनका परिचय अभी नया-नया है. वे समझ नहीं पा रहे हैं कि हाल में जब प्रखंड कार्यालय से उन्होंने पंचायत में होनेवाले विकास संबंधी कायरें में हो रहे व्यय का ब्योरा मांगा तो क्यों पंचायत से लेकर ब्लॉक तक में उनकी इज्जत पहले से कई गुना बढ़ गयी. पहले जो बीडीओ उन्हें अपने आस-पास भी फ़टकने...
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