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फ्लॉप साबित हुई कपिल सिब्बल की जीरो-लॉस थ्योरी- आर. जगन्नाथन

स्पेक्ट्रम की मौजूदा नीलामी भारी सफलता मिली है। इससे हमें पता चलता है कि  2008 में तत्कालीन दूरसंचार मंत्री ए राजा ने 2जी स्पेक्ट्रम 2001 की कीमतों पर बांटी थी उसमें निश्चित ही घोटाला हुआ था। मौजूदा नीलामी के छठे दिन, 8 फरवरी तक सरकार को 56,554.92 करोड़ रुपए की बोलियां मिल चुकी हैं और अभी नीलामी खत्म नहीं हुई है। इससे पहले नवंबर-दिसंबर 2012 में स्पेक्ट्रम की नीलामी फीकी साबित हुई...

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संविधान में गांव की परिभाषा भी नहीं- आर के नीरद

भारत के संविधान में गांव की कोई परिभाषा नहीं है. जब गांव ही नहीं है, तो ग्राम गणराज्य भी नहीं है. यह बड़ा विरोधाभास है. महात्मा गांधी गांव गणराज्य की  बात करते थे. वे आजादी का असली अर्थ गांवों की समरसता, आत्मनिर्भरता और लोकतंत्र में जन भागीदारी को मानते थे. देश आजाद हुआ और गणतंत्र भारत के लिए अपना संविधान बना, लेकिन इसमें गांव की परिकल्पना शामिल नहीं हो सकी. सब ने...

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अर्थव्यवस्था के मर्ज की दवा- लार्ड मेघनाद देसाई

वर्ष 2014 में भारत की अर्थव्यवस्था के समक्ष पहली चुनौती महंगाई है. इससे निबटना नयी सरकार की सबसे बड़ी जिम्मेवारी होगी. पिछले तीन-चार वर्षो से महंगाई की दर बहुत अधिक रही है. महंगाई की समस्या बहुआयामी है. यह अन्य समस्याओं को भी जन्म दे रही है. इससे देश में बहुत बड़ा संकट आया है. अगर सरकार इन चुनौतियों से मुकाबला करने में सक्षम रही, तो भारत की अर्थव्यवस्था उम्मीदों से...

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बिहार में 81 लाख का दवा घोटाला

नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल (एनएमसीएच) में 81 लाख 65 हजार रुपये के दवा घोटाले का मामला सामने आया है। न सिर्फ बाजार से ऊंची दर पर दवा की खरीदारी हुई, बल्कि कई दवाएं ऐसी भी खरीदी गईं, जिनकी कोई आवश्यकता नहीं थी। स्वास्थ्य विभाग की पांच सदस्यीय जांच टीम ने इस घोटाले के राज खोले हैं। राज्य सरकार ने मामले की जांच निगरानी अन्वेषण ब्यूरो को सौंपी है। निगरानी ने इस संबंध में...

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सुप्रीम कोर्ट ने सुनाए समाज और लोकतंत्र को प्रभावित करने वाले फैसले

नई दिल्ली। यह साल न्यायिक संक्रांति के लिए भी याद किया जाएगा। देश की शीर्ष अदालत ने समाज और हमारे लोकतंत्र को प्रभावित करने वाले कई अहम फैसले इस साल सुनाए। जेल में बंद लोगों के निर्वाचित प्रतिनिधि बनने और दो साल से अधिक की सजा पाने वाले सांसदों-विधायकों को सदन की सदस्यता के अयोग्य करार देने जैसे चुनाव सुधारों पर ऐतिहासिक फैसलों, ‘पिंजरे में बंद’ सीबीआइ की स्वायत्तता की गुहार...

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